
नई दिल्ली । बॉम्बे हाई कोर्ट(Bombay High Court) ने 27 साल पुराने केस(Old cases) में पति को राहत देते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि सांवले रंग(dark complexion) और खाना बनाने की आदतों पर तंज कसना क्रूरता नहीं है। महाराष्ट्र के सतारा निवासी सदाशिव को पत्नी प्रेमा को आत्महत्या के लिए उकसाने और क्रूरता के मामले में सजा मिली थी। सेशन कोर्ट ने 1998 में पत्नी की मौत के बाद उसे दोषी माना था। इसके बाद पति सदाशिव रुपनवर ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।
गायब हो गई थी पत्नी
शादी के पांच साल बाद सदाशिव की पत्नी प्रेमा अपनी ससुराल से जनवरी 1998 में गायब हो गई थी। बाद में उसका शव कुएं से बरामद हुआ था। प्रेमा के घरवालों की शिकायत पुलिस ने सदाशिव और उसके पिता पर केस दर्ज किया था। इन दोनों पर आरोप थे कि उनकी प्रताड़ना से तंग आकर प्रेमा ने अपनी जान दे दी। ट्रायल कोर्ट ने सदाशिव के पिता को छोड़ दिया, लेकिन उसे पत्नी पर क्रूरता के आरोप में एक साल और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में पांच साल की सजा दी। उस वक्त सदाशिव 23 साल का था और चरवाहे का काम करता था। उसने उसी साल सजा के खिलाफ अपील की थी।
कोर्ट ने क्या कहा
केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस एसएम मोडक की सिंगल जज बेंच पाया किया कि उत्पीड़न के आरोप पति द्वारा अपनी पत्नी के काले रंग का मजाक उड़ाने और फिर से शादी करने की धमकी देने तक सीमित थे। वहीं, ससुर पर आरोप था कि उसने बहू के खाना पकाने के कौशल की आलोचना की। कोर्ट ने कहाकि इन्हें वैवाहिक जीवन के झगड़े कहा जा सकता है। ये घरेलू झगड़े हैं। यह ऐसा भी नहीं था कि इससे आत्महत्या को उकसावा मिले।
मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस ने कहा कि अभियोजन पक्ष सीधे तौर पर आरोपित उत्पीड़न और आत्महत्या के बीच संबंध स्थापित करने में विफल रहा। कोर्ट ने कहा कि उत्पीड़न हुआ था, लेकिन यह वह प्रकार का उत्पीड़न नहीं था जिसके कारण आपराधिक कानून को लागू किया जा सके। यह भी कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने और आत्महत्या दोनों को दोषसिद्धि के लिए स्वतंत्र रूप से साबित करना होगा। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की आलोचना की कि उसने विवाहित महिला के प्रति क्रूरता के तहत दी गई व्याख्या का गलत उपयोग किया।
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