
नई दिल्ली. थाईलैंड (Thailand) और कंबोडिया (Cambodia) के बीच सीमा विवाद गहराता जा रहा है. एक दिन पहले (24 जुलाई) को दोनों देशों के बीच बड़ा संघर्ष शुरू हुआ और हिंसक रूप ले लिया. दोनों देशों की सेनाओं ने एक-दूसरे पर रॉकेटों और तोपों से हमला किया. संघर्ष के शुरुआत में ही 15 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और एक लाख से ज्यादा लोग विवादित क्षेत्र छोड़कर पलायन कर चुके हैं. मरने वालों में अधिकांश थाई नागरिक हैं.
इस हिंसक संघर्ष के कारण दोनों देशों ने राजनयिक संबंध भी कम करने का फैसले लिया है. दोनों देशों ने राजदूतों को वापस बुला लिया है. दोनों देश एक-दूसरे पर पहले हमला करने का आरोप लगा रहे हैं.
थाईलैंड का रुख: हम द्विपक्षीय समाधान चाहते हैं
इस बीच शांति बहाली के लिए अमेरिका, चीन और मलेशिया ने थाईलैंड से कंबोडिया के साथ मध्यस्थता (सीजफायर) की पेशकेश की थी. हालांकि, थाईलैंड ने इसे सिरे से नकार दिया.
थाई के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘ये दो देशों के बीच का मामला है. इसका सिर्फ द्विपक्षीय समाधान किया जा सकता है. अभी हमें तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है.’ उन्होंने ये भी कहा कि कंबोडिया को पहले सीमा पर हिंसा बंद करनी चाहिए, तभी कोई रचनात्मक वार्ता संभव है. हमारे दरवाजे अभी भी खुले हैं.
कंबोडिया का जवाब
कंबोडिया की ओर से अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. हालांकि, प्रधानमंत्री हुन मानेत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से अपील की है कि इस मामले पर तत्काल बैठक बुलाई जाए. उन्होंने थाईलैंड पर आरोप लगाया कि पूर्व नियोजित तरीके और बिनी किसी उकसावे के सैन्य कार्रवाई की गई है.
तनाव की वजह: बारूदी सुरंगें और राजनयिक विवाद
दोनों देशों के बीच संघर्ष बारूदी सुरंगों को लेकर हुआ. दरअसल, सीमा पर एक थाई सैनिक बारूदी सुरंग में विस्फोट होने के कारण घायल हो गया. थाईलैंड ने आरोप लगाया कि हाल में ही कंबोडिया द्वारा ये बारूदी सुरंगें बिछाई गई हैं.
इसके बाद थाईलैंड ने कंबोडिया के राजदूत को निष्कासित कर दिया और अपना दूत वापस बुला लिया.
मलेशिया ने की शांति की पेशकश
मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम, जो इस समय आसियान (ASEAN) के अध्यक्ष हैं, ने दोनों देशों से शांति से समाधान निकालने की अपील की.
थाईलैंड ने कहा कि यदि ASEAN सदस्य कोई रचनात्मक बातचीत की पहल करना चाहते हैं, तो वो उसका स्वागत करेंगे, बशर्ते ये प्रक्रिया द्विपक्षीयता पर आधारित हो.
शिव मंदिर बना युद्ध की वजह: थाईलैंड और कंबोडिया में जंग के हालात
ग्यारहवीं सदी के शिव मंदिर को लेकर थाईलैंड और कंबोडिया के बीच शुरू हुआ सीमा विवाद अब खुले युद्ध का रूप ले चुका है. दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं, फाइटर जेट्स उड़ रहे हैं और तोपों की गड़गड़ाहट सीमा पार तक सुनाई दे रही है. यह युद्ध अब केवल ज़मीन का नहीं, बल्कि आस्था, राष्ट्रवाद और क्षेत्रीय प्रभुत्व का टकराव बन चुका है.
क्या है युद्ध की जड़ में?
विवाद का केंद्र है प्री विहिहर मंदिर, जिसे 11वीं सदी में खमेर सम्राट सूर्यवर्मन ने भगवान शिव के लिए बनवाया था.
यह मंदिर कंबोडिया के प्री विहार प्रांत और थाईलैंड की सीमा पर स्थित है.
1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने इस मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा घोषित किया था, लेकिन इसके आसपास की 4.6 वर्ग किलोमीटर ज़मीन पर आज भी दोनों देशों का दावा है.
2008 में जब मंदिर को UNESCO विश्व धरोहर घोषित किया गया, तब से विवाद और गहरा गया.
राजनीति में भूचाल: थाई पीएम को गंवानी पड़ी कुर्सी
15 जून 2025 को थाईलैंड की प्रधानमंत्री पाइथोंग्तार्न शिनावात्रा को पद छोड़ना पड़ा.
वजह थी कंबोडियाई पीएम से एक गोपनीय फोन कॉल, जिसमें उन्होंने थाई सेना की आलोचना कर दी थी.
यह कॉल लीक होने के बाद थाई सेना और आम नागरिक भड़क गए, जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर उन्हें हटाया गया.
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