शिमला। हिमाचल प्रदेश (HP) में हाल ही में दो भाइयों की एक ही दुल्हन से शादी (Marriage) ने पहाड़ की सदियों पुरानी एक प्रथा को देशभर में चर्चा का विषय बना दिया। लोग इस ‘बहुपति प्रथा’ (Polyandry) के बारे में अधिक से अधिक जानना चाहते हैं जिसका अस्तित्व आज भी तिब्बत से लेकर हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में हट्टी जनजाति के बीच मौजूद है। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस परमार ने 1975 में इस प्रथा पर एक किताब भी लिखी थी, जिसमें उन्होंने विस्तार से इसके कारणों और तौर-तरीकों को समझाया है।
वाईएस परमार ने इसी विषय पर पीएचडी भी की थी और बाद में उन्होंने अपनी किताब ‘पॉलीएंड्री इन द हिमालयाज’ (हिमालय में बहुपति प्रथा) में इस तरह की शादियों के हर पहलू से रूबरू कराया है। परमार ने इस किताब में बताया है कि बहुपति प्रथा आमतौर पर गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में प्रचलित है, जो सभी भाइयों के लिए अलग परिवार बसाकर सीमित संसाधनों का बंटवारा नहीं करना चाहते हैं।
इस प्रथा के तहत किसी परिवार में सभी भाइयों की एक ही दुल्हन से शादी कराई जाती है और सभी मिलजुलकर एक ही घर में रहते हैं। हालांकि, बहुपति प्रथा में सभी पतियों के सगे भाई होने की अनिवार्यता नहीं है। बिना खून के रिश्ते वाले लोग भी खुद को ‘धर्म भाई’ घोषित करके एक ही पत्नी साझा कर सकते हैं।
किताब के पांचवें अध्याय में भ्रातृ बहुपतित्व (जब सगे भाइयों की एक ही पत्नी हो) प्रथा के बारे में विस्तार से बताया गया है। आप जानना चाहेंगे कि आखिर क्या एक ही पत्नी के साथ वक्त बिताने को लेकर भाइयों के बीच टकराव नहीं होता? यह कैसे तय होता है कि पत्नी कब किसको समय देगी? इसी अध्याय में वाई एस परमार ने बताया है कि यह तय करने का अधिकार पत्नी के पास होता है। वह कहते हैं कि यह पत्नी की जिम्मेदारी होती है कि वह सभी भाइयों को बराबर प्यार और समय दे और उनके बीच ईर्ष्या का भाव ना पैदा होने दे।
पेज नंबर 91 पर परमार लिखते हैं जब पत्नी किसी एक भाई के साथ हो कमरे के बाहर दूसरे की टोपी या जूता रख दिया जाता है, जोकि दूसरे भाइयों के लिए संदेश का काम करता है। लेकिन ऐसा करना तभी संभव है जब कमरे एक से अधिक हों, जबकि यह अधिकतर गरीब परिवारों में प्रचलित है और उनके पास एक से अधिक कमरे नहीं। परमार कहते हैं, ‘जिनके पास अलग-अलग घर हैं वो तो बहु पत्नी प्रथा अपनाते हैं। बहुपति प्रथा तो वो अपनाते हैं जिनके पास अलग-अलग घर और पत्नी रखने का सामर्थ्य नहीं है।’
ऐसे घरों में पत्नी और पति कैसे एक दूसरे को समय देते हैं इस पर प्रकाश डालते हुए परमार ने किताब में लिखा है, ‘अधिकतर मामलों में पत्नी को सभी पतियों के साथ एक ही कमरे में सोना होता है। वे एक ही कमरे में सोएं या अलग-अलग में, शारीरिक संबंध की व्यवस्था पत्नी को करनी होती है। जब सभी भाई अपने-अपने बिस्तर में जा चुके हों, यह पत्नी को तय करना होता है कि वह आज रात इच्छा के मुताबिक किस पति के साथ रहेगी। लेकिन वह बारी-बारी से सभी भाइयों के साथ अपने कर्तव्य को निभाती है। आमतौर पर सभी पतियों को बराबर समय दिया जाता है। मुश्किल से ही शिकायत की स्थित बनती है।’
परमार बताते हैं कि शारीरिक संबंध के अलावा घर के अधिकतर मामलों में पत्नी ही फैसला करती है। वह रसोई संभालती है, खाना पकाती है और मवेशियों के लिए चारा का इंतजाम करती है और खेतों में भी काम करती है। यदि उसे लगता है कि वह अकेले सभी काम नहीं कर सकती है तो वह परिवार में और भी महिला लाने को कह सकती है, लेकिन उसे भी सभी भाइयों की ओर से साझा किया जाता है।
समृद्ध परिवार में हाल ही में शादी चर्चा का विषय
चंद दिनों पहले हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में तीन खूब पढ़े लिखे और समृद्ध परिवार के तीन युवाओं ने सदियों पुरानी परंपरा के तहत शादी की। आईटीआई कर चुकी सुनीता चौहान ने प्रदीप और कपिल नेगी नाम के दो भाइयों से एक साथ शादी की। इनमें से एक भाई की हिमाचल में सरकारी नौकरी है तो दूसरा विदेश में नौकरी करता है। तीनों ने कहा कि बिना किसी दबाव के उन्होंने अपनी परंपरा पर गर्व करते हुए यह रिश्ता स्वीकार किया है।
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