
नई दिल्ली । लोकसभा(Lok Sabha) में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी(नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ) ने पुणे की विशेष एमपी/एमएलए अदालत(Special MP/MLA Court) में एक अवमानना याचिका दाखिल(Petition filed) की है। यह याचिका सत्यकी सावरकर के खिलाफ दाखिल की गई है, जो उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले के मुख्य शिकायतकर्ता हैं। यह मामला राहुल गांधी द्वारा हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी करने से जुड़ा है। राहुल गांधी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि सत्यकी सावरकर ने जानबूझकर अदालत के आदेशों की अवहेलना की है और महत्वपूर्ण दस्तावेजों व इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को उपयोगी रूप में उपलब्ध नहीं कराया है। इससे उनके निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन हुआ है।
राहुल गांधी की ओर से वकील मिलिंद पवार ने यह याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि सावरकर की यह कार्रवाई अदालत की अवमानना के दायरे में आती है और उनके व्यवहार में गंभीर गैरजिम्मेदारी और अहंकार झलकता है।
सीडी के बदले पेन ड्राइव, वह भी खराब
राहुल गांधी की याचिका के अनुसार, शिकायतकर्ता ने कोर्ट में एक सीडी दाखिल की थी जिसमें उनके आरोपों से जुड़े सबूत होने का दावा किया गया था। लेकिन आरोपी पक्ष को 9 मई 2025 को एक पेन ड्राइव दी गई, जो खराब निकली और किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर नहीं खुली। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि असली सीडी और ट्रांसक्रिप्ट कभी भी उन्हें मुहैया नहीं कराई गई, जबकि अदालत ने स्पष्ट आदेश दिए थे कि यह सबूत आरोपी पक्ष को सौंपे जाएं।
राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता ने दो भिन्न-भिन्न वंशावली कोर्ट में दाखिल किए, जिनमें से एक में उनकी मां हिमानी सावरकर का नाम नहीं था। हिमानी सावरकर को नाथूराम गोडसे के परिवार से जोड़ा गया है। ऐसे विरोधाभासी दस्तावेजों से शिकायतकर्ता की नियत और साक्ष्यों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
इस मामले की सुनवाई 13 अगस्त 2025 को पुणे की न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अमोल शिंदे की अदालत में होगी। इससे पहले 11 जुलाई को कोर्ट ने राहुल गांधी का बयान दर्ज किया था, जिसमें उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था।
यह मानहानि मामला मार्च 2023 में लंदन में दिए गए राहुल गांधी के एक भाषण से जुड़ा है। उस भाषण में राहुल गांधी ने दावा किया था कि सावरकर और अन्य लोगों ने एक मुस्लिम व्यक्ति पर हमला किया और इसे आनंददायक अनुभव बताया। सत्यकी सावरकर ने इस कथन को सावरकर की किसी भी प्रकाशित पुस्तक में न पाए जाने की बात कहते हुए IPC की धारा 500 (मानहानि) के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज की और CrPC की धारा 357 के तहत मुआवजे की मांग की।
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