
नई दिल्ली: 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस (Malegaon Blast Case) में आज एक बड़ा फैसला आया. मुंबई की एनआईए अदालत (NIA court in Mumbai) ने इस मामले में आरोपी – पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया. वजह सबूतों की कमी को माना गया. अदालत का कहना था कि जो चीजें उसके सामने रखी गईं, उससे किसी खास नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका. आइये जानें फैसला सुनावे वाले जज एके लाहोटी ने कौन सी वजहें गिनवाईं जिस आधार पर सभी आरोपियों को बरी किया गया.
पहला – सबसे पहले तो कोर्ट ने कहा कि प्रॉसिक्यूशन ने ये तो साबित कर दिया कि मालेगांव में धमाका हुआ था, लेकिन वे ये साबित करने में नाकाम रहे कि धमाके में इस्तेमाल की गई बाइक का प्रज्ञा ठाकुर से लिंक है. उस बाइक के सीरियल नंबर का भी फॉरेंसिक रिपोर्ट में पता नहीं लगाया जा सका.
दूसरा – प्रज्ञा सिंह ठाकुर को लेकर कहा गया कि वे तब सन्यासी हो चुकी थीं और उन्होंने बम धमाके से 2 बरस पहले ही सभी भौतिक चीजों को त्याग दिया था. सबसे अहम चीज ये रही कि प्रज्ञा ठाकुर का किसी दूसरे आरोपी के साथ भी कोई साजिश रचने का सबूत मिल सका. नतीजा, वो बरी रहीं.
तीसरा – जहां तक लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित का सवाल है, उनके बारे में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे ये स्थापित हो सके कि वे आरडीएक्स मुहैया कराने और बम बनाने में शामिल थे. कर्नल पुरोहित को लेकर भी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ही की तरह कोई ऐसा सबूत नहीं मिला जिससे वे ऐसी किसी साजिश का हिस्सा थे.
चौथा – एक चीज और, इस धमाके की फंडिंग कहां से हुई, ये भी जांच में साफ तौर पर पता नहीं चल सका, जिससे इल्जाम फंड करने वालों पर लगाया जा सके. हां, एक लेनदेन कर्नल पुरोहित और आरोपी अजय राहीकर के बीच जरुर हुई थी. पर उसके बारे में अदालत में ये तय हुआ कि उसका इस्तेमाल पुरोहित का घर बनाने के लिए हुआ, न कि किसी आतंकी गतिविधियों के लिए.
मालेगांव बम धमाका कब हुआ था
मालेगांव केस एक गंभीर आतंकी हमला था. जो महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में 2006 और 2008 में हुआ था. 2006 वाला धमाका 8 सितंबर को शब-ए-बरात के दिन एक कब्रिस्तान और मस्जिद के पास हुआ था. ये धमाका तब किया गया जब लोग नमाज पढ़ने जा रहे थे. इस दिन कुल चार बम विस्फोट हुए थे, जिनमें 37 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और लगभग 100 से अधिक लोग घायल हुए. इस मामले का आरोप स्टुडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सीमी और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों पर लगा.
9 मुस्लिम लड़के गिरफ्तार भी हुए लेकिन 2019 में वे सबूतों के अभाव में बरी हो गए. जहां तक 2008 वाले बम धमाके की बात है, ये बाइक में लगे बम के इस्तेमाल से 29 सितंबर को हुआ था. इस हमले में 6 लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा घायल हुए थे. इसी का आरोप प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल श्रीकांत पुरोहित, स्वामी असीमानंद और दूसरे लोगों पर लगा. मामेली की जांच एनआईए ने की जिस पर आज फैसला आया.
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