
नई दिल्ली। राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने नाबालिगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए होटल में ठहरने को लेकर सख्त नियम लागू कर दिए हैं। अब 18 वर्ष से कम उम्र के सभी नाबालिगों को होटल में रुकने के लिए अपने परिवार को सूचित करना होगा और होटल को पहचान पत्र के साथ मोबाइल नंबर भी देना अनिवार्य होगा। सरकार ने कहा है कि होटल संचालकों को नाबालिगों की पूरी जानकारी रिकॉर्ड में दर्ज करनी होगी। किसी संदिग्ध स्थिति का पता चलने पर होटल संचालक को तुरंत पुलिस को सूचित करना होगा। यह कदम नाबालिगों की सुरक्षा बढ़ाने और उनके साथ होने वाली किसी भी आपराधिक वारदात की रोकथाम के लिए उठाया गया है।
इस नियम के तहत अब बिना परिवार की मंजूरी और जानकारी के नाबालिग होटल में नहीं ठहर सकेंगे। इस नई गाइडलाइन के चलते होटल क्षेत्र में सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ेगी। साथ ही, सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अन्य संस्थाओं के साथ समन्वय भी कड़ा किया जाएगा। राजस्थान सरकार का यह कदम नाबालिग बच्चों को सुरक्षित वातावरण देने और उन्हें अपराधों से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान में बच्चों की सुरक्षा ज्यादा गंभीर विषय है। यहां खासकर कोटा में नाबालिग बच्चों के आत्महत्या करने के मामले काफी ज्यादा हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2022 के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में आत्महत्या की दर 6.6 प्रति लाख व्यक्ति है। वहीं, राष्ट्रीय औसत 12.4 प्रति लाख व्यक्ति है। 2022 में राजस्थान में आत्महत्या के कुल 5,343 मामले दर्ज हुए थे। त्रों की आत्महत्या के मामले में राजस्थान देश में 10वें स्थान पर है। यह संख्या महाराष्ट्र (14%), तमिलनाडु (11%), और मध्य प्रदेश (10%) जैसे राज्यों से कम है। हालांकि, पिछले तीन सालों में राजस्थान में आत्महत्या के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं।
मई 2025 तक कोटा में 14 छात्रों ने आत्महत्याएं की। जुलाई तक यह संख्या बढ़कर 17 हो गई। जनवरी 2025 में तीन सप्ताह के भीतर 5 छात्रों ने आत्महत्या की, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। 2024 में कोटा में 19 छात्रों ने आत्महत्याएं की थीं। इनमें से 17 कोचिंग में पढ़ते थे। वहीं, 2023 में कोटा के अंदर 26 से ज्यादा छात्रों ने आत्महत्या की थी।
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