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मालेगांव केस में अनूठी मांग, समीर कुलकर्णी बोले- गिरफ्तार हुआ था तब मेरे पास थे 750 रुपये, वापस दिलाएं मेरे पैसे

August 01, 2025

नई दिल्‍ली । राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने महाराष्ट्र (Maharashtra) के मालेगांव (Malegaon) में 17 साल पहले हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में भाजपा नेता एवं पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर (pragya singh thakur) समेत सभी सात आरोपियों को गुरुवार को बरी कर दिया। विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने ये फैसला सुनाया। बरी होने वालों में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर , सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित , सुधाकर धर द्विवेदी, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त) , सुधाकर ओंकारनाथ चतुर्वेदी, अजय राहिरकर उर्फ राजा और समीर कुलकर्णी उर्फ चाणक्य समीर शामिल हैं।

मामले का दिलचस्प पहलू यह भी रहा कि दो अन्य प्रमुख आरोपी – इंदौर निवासी रामजी उर्फ रामचंद्र कलसांगरा और संदीप डांगे- अभी भी वांछित हैं। हालांकि एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने पूर्व में इन दोनों को एटीएस द्वारा मार गिराने का दावा किया था।

…तब मेरे पास 900 रुपये थे
जब विशेष अदालत फैसला सुना रही थी, तब कोर्ट रूम में भारी उत्साह देखने को मिला। इस दौरान कुछ दिलचस्प पल भी देखने को मिले। इसी दौरान बरी किए गए एक आरोपी समीर कुलकर्णी ने अदालत से अपने 750 रुपये वापस दिलाने की मांग की। कुलकर्णी ने कहा, “योर ऑनर.. जब मुझे गिरफ्तार किया गया था, तब मेरे पास 900 रुपये थे। हालांकि, पुलिस वालों ने कागजों पर मुझसे सिर्फ 750 रुपये की ही बरामदगी दिखाई। ठीक है, 150 रुपये छोड़ दीजिए, लेकिन कम से कम मेरे 750 रुपये तो लौटवा दीजिए।”


जज ने क्या कहा, कब मिलेंग पैसे?
जज ने उनके इस अनुरोध पर ध्यान दिया और कहा कि हम पहले ही आदेश दे चुके हैं कि मामले में अगले आदेश तक “केस की संपत्ति” से कुछ भी वापस नहीं किया जाएगा। इसका मतलब है कि कुलकर्णी भले ही रिहा हो जाएँ, लेकिन उन्हें अपने 750 रुपये के लिए अभी और इंतज़ार करना होगा। अदालत में की गई इस असामान्य माँग को इस आरोप के रूप में देखा जा रहा है कि गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने उनसे जो कुछ ज़ब्त किया होगा, उसमें से 150 रुपये निकाले गए होंगे।

नारे लगाने की इजाजत नहीं
17 साल बाद 750 रुपये वापस करने के अपने अनुरोध के साथ ही समीर कुलकर्णी ने अदालत से एक और अनुरोध किया और कहा कि हुजूर तीन सेकंड के लिए नारे लगाने की इजाज़त चाहते हैं। दरअसल, वह भारत माता की जय के नारे लगाना चाहते थे लेकिन अदालत से इससे इनकार कर दिया और कहा कि यह अदालती अनुशासन का उल्लंघन होगा।

विस्फोट में 101 नहीं, बल्कि 95 हुए थे घायल
एनआईए अदालत ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि विस्फोट में घायलों की कुल संख्या 101 नहीं, बल्कि 95 है। अदालत के अनुसार, 101 में से छह लोगों ने चोटों का दावा करने के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाए थे। वकीलों का अनुमान है कि मुआवज़ा पाने के लिए ऐसा किया गया होगा। अदालत के आदेशानुसार अब केवल इन्हीं 95 लोगों को घायलों के लिए घोषित 50,000 रुपये का आर्थिक मुआवज़ा मिल सकेगा।

कुलकर्णी ने लड़ा था खुद अपना केस
खुद अपना केस लड़ने वाले समीर कुलकर्णी ने कहा कि यदि उनके सह-आरोपियों ने वकील नहीं रखा होता तो मुकदमा 15 साल पहले ही समाप्त हो गया होता। उन्होंने बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष दोनों पर मुकदमे को लम्बा खींचने का आरोप लगाया। कुलकर्णी ने कहा, “मैं अदालत का शुक्रिया अदा करता हूं। मैंने कोई वकील नहीं रखा क्योंकि मुझे हमारी न्यायिक प्रणाली पर भरोसा था। मैंने मामले में तेजी लाने के लिए बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया था और इसके लिए 26 बार अनशन भी किया था।” कुलकर्णी ने कहा, “सभी आरोपी निर्दोष थे। अगर उन्होंने वकील न रखा होता तो मामला 15 साल पहले खत्म हो चुका होता।”

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