
इंदौर। मालेगांव ब्लास्ट में एनआईए कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित सभी आरोपियों को कल बरी कर दिया, लेकिन इसके अलावा मोडासा, समझौता एक्सप्रेस और अजमेर ब्लास्ट में भी इंदौर के तार जुड़े थे। इसके चलते कई राज्यों की जांच एजेंसियां इंदौर और आसपास छापे मारती रहती थीं। महू में विशेष समुदाय के दो लोगों की गोली मारकर हत्या और फिर सांवेर में एक हत्या के बाद भगवा आतंकवाद की थ्योरी शुरू हुई थी। इस मामले में पकड़े गए आरोपियों से ही अभिनव भारत संगठन की जानकारी पुलिस को मिली थी।
दो दस लाख के इनामी थे बीच की कड़ी, जो आज तक नहीं मिले
मालेगांव ब्लास्ट सहित अन्य मामलों में पुलिस ने यह थ्योरी दी थी कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर और ब्लास्ट करने वाले आरोपियों के बीच की कड़ी इंदौर के रामजी कालसांगरा निवासी बंगाली कॉलोनी और संदीप डांगे निवासी लोकमान्य नगर थे। इन पर सीबीआई ने दस-दस लाख का इनाम रखा था, लेकिन आज तक ये दोनों पुलिस को नहीं मिले। इसके अलावा खजराना से एटीएस मुंबई की टीम दिलीप पाटीदार को लेकर गई थी, जो आज तक वापस नहीं आया। इसके अलावा इस संगठन से जुड़े सुनील जोशी निवासी देवास की हत्या हो गई थी। कहा गया था कि वह राजफाश करने वाले थे। वहीं पीथमपुर के रेलवे ट्रैक पर संगठन के एक सदस्या कलौता की संदिग्ध अवस्था में लाश मिली थी।
सिमी का भी गढ़ रहा है शांति का टापू इंदौर
अलग-अलग शहरों में हुए ब्लास्ट के बाद भगवा आतंकवाद की थ्योरी शुरू हुई थी। इसका केंद्र इंदौर और आसपास का क्षेत्र बताया गया था। इंदौर के पास चोरल में ट्रेनिंग की बात भी आई थी। इससे जुड़े ज्यादातर लोग इसी क्षेत्र के थे। यह भी कहा गया था कि सिमी से निपटने के लिए यह संगठन बना था। इंदौर और आसपास का क्षेत्र सिमी के आतंकवाद के लिए भी चर्चा में रहा है। श्याम नगर एक्सटेंशन से पुलिस ने 7 सिमी आतंकवादियों को 9 पिस्टल के साथ पकड़ा था। इसके अलावा अहमदाबाद और अन्य शहरों में हुए धमाकों में भी सिमी का नाम आया था और इंदौर और आसपास से पुलिस ने कई लोगों को पकड़ा था। बांदा कंपाउंड इसका केंद्र था। इसके अलावा उज्जैन के कई ग्रामीण क्षेत्र में यह सक्रिय था।
मोटरसाइकिल पलासिया के एक गैरेज पर हुई थी तैयार
पुलिस ने तब बताया था कि मालेगांव ब्लास्ट में धमाके में उपयोग की गई बाइक प्रज्ञा सिंह ने पलासिया में गैरेज चलाने वाले जितेंद्र शर्मा से तैयार करवाई थी। हालांकि एनआईए ने उसे इस केस में सरकारी गवाह बनाया था। उसे सुरक्षा भी मिली थी। केस में बाइक में विस्फोटक नहीं होने की बात कोर्ट ने कही है। संगठन से जुड़े लोगों का कार्यक्षेत्र इंदौर के अलावा देपालपुर, सांवेर, शिप्रा, महू, देवास, शाजापुर और उज्जैन था। यहां से एटीएस और एनआईए ने कई लोगों को गिरफ्तार किया था और कुछ को आरोपी भी बनाया था।
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