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डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद भारत-US में बढ़ा व्यापार, तेल की खरीद में 51% की वृद्धि

August 03, 2025

वाशिंगटन. डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के जनवरी 2025 में दोबारा राष्ट्रपति (President) बनने के बाद, भारत (India) ने अमेरिका (US) से ऊर्जा की खरीद काफी बढ़ा दी है। आंकड़ों के मुताबिक, 2025 के पहले छह महीनों में भारत ने अमेरिका से जितना कच्चा तेल खरीदा, वह पिछले साल की तुलना में 51% ज्यादा है।

ऊर्जा की खरीद में यह तेजी, अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों को पुनर्संतुलित करने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जो ट्रंप प्रशासन की बड़ी मांगों में से एक है। तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का आयात भी काफी बढ़ा है। एलएनजी का आयात वित्त वर्ष 2023-24 में 1.41 अरब डॉलर था, जो वित्त वर्ष 2024-25 में दोगुना होकर 2.46 अरब डॉलर हो गया है।


ट्रंप-मोदी के बीच हुए समझौते के कारण आई तेजी
इस तेजी का कारण फरवरी 2025 में ट्रंप और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच हुआ एक समझौता है, जिसमें दोनों नेताओं ने ऊर्जा सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई थी। भारत ने 2024 तक अमेरिका से ऊर्जा खरीद को 15 अरब डॉलर से बढ़ाकर 25 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही, दोनों देशों के बीच कुल व्यापार को 2030 तक 200 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने की योजना है।

भारत के कुल तेल आयात में अमेरिका की हिस्सेदारी अब 8 फीसदी
संयुक्त बयान में कहा गया था कि दोनों देश मिलकर ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना चाहते हैं और अमेरिका को भारत के लिए प्रमुख ऊर्जा आपूर्तिकर्ता बनाना चाहते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, यह गति काफी तेज हो गई है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में, अमेरिका से भारत का कच्चा तेल आयात 114% बढ़कर 3.7 अरब डॉलर हो गया, जो पहले 1.73 अरब डॉलर था। जुलाई 2025 में, भारत ने जून की तुलना में 23% ज्यादा अमेरिकी तेल खरीदा। अब भारत के कुल तेल आयात में अमेरिका की हिस्सेदारी 3% से बढ़कर 8% हो गई है।

अमेरिका से एलएनजी खरीदना भारतीय कंपनियों के लिए आकर्षक प्रस्ताव
रेटिंग एजेंसी ICRA के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशांत वशिष्ठ का कहना है कि अमेरिका से एलएनजी खरीदना कई भारतीय कंपनियों के लिए बहुत ही आकर्षक प्रस्ताव है। पहला कारण यह है कि इसका मूल्य अमेरिका के ‘हेनरी हब’ बेंचमार्क पर आधारित होता है, जो सस्ता पड़ता है। दूसरा, अमेरिका में बड़ी संख्या में एलएनजी परियोजनाएं ऑनलाइन आ रही हैं, जिसका अर्थ है कि अधिक भारतीय कंपनियां लंबे समय के अनुबंधों के लिए अमेरिकी बाजार पर बारीकी से नजर रखेंगी।

ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही बाइडन प्रशासन की नीति को हटाया
ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही बाइडन प्रशासन की उस नीति को हटा दिया, जिसमें अमेरिका की गैस निर्यात लाइसेंस पर रोक थी। अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन का अनुमान है कि अब 2028 तक उत्तरी अमेरिका की एलएनजी निर्यात क्षमता दोगुनी हो जाएगी, जिसमें अधिकांश वृद्धि अमेरिका द्वारा निर्यात की जाएगी।

2030 तक चीन को पीछे छोड़ देगा भारत
भारत की अमेरिका से बढ़ती ऊर्जा खरीद ऐसे समय में हो रही है जब भारत दुनिया में सबसे तेजी से तेल की मांग बढ़ाने वाला देश बनता जा रहा है। अनुमान है कि 2030 तक भारत इस मामले में चीन को भी पीछे छोड़ देगा। साथ ही, भारत में एलएनजी की मांग 78% बढ़कर 64 बिलियन क्यूबिक मीटर हो सकती है।

दीर्घकालिक एलएनजी अनुबंधों पर चल रही बात
मामले से परिचित एक अन्य व्यक्ति के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच अरबों डॉलर के दीर्घकालिक एलएनजी अनुबंधों पर बातचीत चल रही है। भारत की बड़ी तेल-गैस कंपनियां अमेरिकी कंपनियों से सीधे बातचीत कर रही हैं। भारत अमेरिका को अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक भरोसेमंद साथी मानता है। हालांकि, ऊर्जा संबंध पर कुछ विवाद भी हैं। खासकर भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर ट्रंप प्रशासन चिंतित है। ट्रंप प्रशासन चाहता है कि भारत रूस पर दबाव बनाए ताकि यूक्रेन युद्ध को खत्म किया जा सके, और भारत रूस से तेल खरीद पर दोबारा सोचे।

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