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यूपी के 17 जिले बाढ़ की चपेट में, प्रयागराज में सड़कें, मकान, घाट डूबे, नवजात को हाथों में उठाकर निकले माता-पिता…

August 04, 2025

नई दिल्ली. देशभर में मॉनसून (Monsoon) की दस्तक ने मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल दिया है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) समेत पूरे उत्तर भारत (India) में लगातार हो रही बारिश और इस बारिश से बढ़े नदियों के जलस्तर ने कई शहरों में बाढ़ के हालात पैदा कर दिए हैं. संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) के पहचान वाले तमाम इलाके बाढ़ में डूब चुके हैं तो वहीं वाराणसी समेत कई शहरों में नदियां उफान पर है.

बाढ़ की चपेट में यूपी के 17 जिले
यूपी के 17 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. इसमें से 16 जिले ऐसे हैं, जिनपर गंगा-यमुना का कहर बरपा है. यूपी प्रयागराज से बलिया तक गंगा के किनारे बसे इलाके डूब रहे हैं. प्रयागराज शहर के सलोरी, राजापुर, दारागंज, बघाड़ा जैसे इलाके डूब गए हैं. वहीं मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली, बलिया में भी हालात ठीक नहीं है लेकिन सबसे ज्यादा असर प्रयागराज में देखने को मिला है. जिस संगम नगरी में 7 महीने पहले पैर रखने की जगह नहीं थी, वहां अब सिर्फ पानी है. उत्तर-दक्षिण-पूरब-पश्चिम पूरा संगम क्षेत्र विशाल समंदर जैसा दिख रहा है.


प्रयागराज में हालात ज्यादा खराब
प्रयागराज में गंगा-यमुना के संगम के बाद जो इलाके आते हैं, वहां के हालात ज्यादा खराब हैं. संगम के बाद जब गंगा आगे बढ़ती है तो उसमें यमुना का पानी मिल चुका है और इन दिनों यमुना में मध्य प्रदेश और राजस्थान का भी पानी है. मिर्जापुर से बलिया तक गंगा की लहरें डरा रही हैं. प्रशासन अलर्ट मोड पर है, लोगों को सावधान रहने को कहा गया है.

जल समाधि ले चुके प्रयागराज के बड़े हनुमानजी
संगम नगरी प्रयागराज में ऐसी बाढ़ आई कि अब पता लगाना मुश्किल है कि कहां गंगा और कहां यमुना हैं. किला घाट से झूंसी तक सब बराबर हो गया है. दोनों नदियां प्रयागराज में खतरे का अलार्म बजा रही हैं. सबसे बुरा हाल गंगा के तराई वाले इलाकों है. बेला कछार, राजापुर, तेलियरगंज, सोनौटी, बघाड़ा ये वो इलाके हैं जो गंगा के चपेट में हैं. प्रयागराज के बड़े हनुमानजी जल समाधि ले चुके हैं. अब सिर्फ मंदिर की धर्मध्वजा ही दिखाई पड़ती है. संगम तट पर ही बने शंकर विमान मंडप भी गंगा की लहरों से अछूता नहीं.

प्रयागराज में गंगा के तट पर ने सैकड़ों मकानों में बाढ़ का पानी घुस गया है. खाने पीने की वस्तुओं या तो पानी में बह गई या फिर से खऱाब हो गई. कर्जन पुल और शंकर घाट के आसपास के कई मकान ऐसे भी हैं, जो पूरी तरह से डूब गए हैं. जिन मकानों में पहली या दूसरी मंजिल नहीं है उसे छोड़कर लोग सुरक्षित ठिकानों पर चले गए, जिनके पास एक से अधिक फ्लोर का घऱ है वो टॉप फ्लोर या सुरक्षित तल पर शिफ्ट हो गए हैं.

घर घर पहुंच रहीं एनडीआरएफ की टीमें
बघाड़ा, दारागंज, तेलियरगंज, सलोरी ये वो इलाके हैं, जो बाढ़ में सबसे पहले डूबते हैं. इन इलाकों में ज्यादातर प्रतियोगी छात्र रहते हैं. बाढ़ पीड़तों की मदद के लिए एनडीआरएफ की टीमें घर घर पहुंचने का प्रयास कर रही हैं. बाढ़ पीड़ितों को खाने पीने वस्तुएं और जरूरी दवाएं भी जा रही हैं.

कमर से ऊपर पानी में नवजात बच्चे को बचाने की कोशिश
प्रयागराज का रसूलाबाद घाट भी पूरी तरह से डूब चुका है. घाटों पर बने मंदिर जलमग्न हैं. इस बीच बघाड़ा से एक तस्वीर आई जिसमें अपने नवजात बच्चे को बचाने के लिए माता पिता कमर से ऊपर पानी में होकर निकल रहे हैं. प्रयागराज शहर में गंगा कहर बरपा रही है. संगम के बाद जब गंगा आगे बढ़ती है तो पानी दोगुना हो जाता है. गंगा पार के हंडिया और यमुनापार के मेजा क्षेत्र में भी कई गांव गंगा की चपेट में हैं.

इन इलाकों में सबकुछ डुबोने को तैयार यमुना
इसके अलावा यमुना किनारे वाले इलाके-आगरा, इटावा, औरैया, हमीरपुर, कानपुर देहात, फतेहपुर, बांदा, चित्रकूट बाढ़ के चपेट में हैं. बांदा में केन नदी भी उफान पर है और केन नदी यमुना की सहायक नदी है. फतेहपुर में यमुना की लहरें सबकुछ डुबा रही हैं. कई सड़कें डूब चुकी हैं, जिले की तीनों तहसीलों में यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जरूरी सामान का संकट हो गया है. बाढ़ की वजह से बिजली सप्लाई रोक दी गई है.

बाढ़ पीड़ितों के राहत पहुंचाने के लिए सीएम योग ने 11 मंत्रियों की टीम गठित की है. ये मंत्री अपने-अपने इलाकों में जाकर राहत बचाव कार्य की निगरानी कर रहे हैं. मंत्री नंदगोपाल गुप्ता को प्रयागराज और मिर्जापुर की जिम्मेदारी मिली है.

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