
इंदौर। शहर का सबसे बड़ा कालोनाइजर इंदौर विकास प्राधिकरण ही है, जिसने हजारों एकड़ पर योजनाएं घोषित की और भूखंड-फ्लैट भी बेचे। शहर में अभी विकास कार्य प्राधिकरण द्वारा ही प्रमुखता से कराए जा रहे हैं, क्योंकि उसके पास लगभग एक हजार करोड़ रुपए की राशि भी उपलब्ध है, जबकि नगर निगम कंगाल है और 700-800 करोड़ रुपए तो ठेकेदारों को ही लेना है, जिसके कारण अब ठेकेदार ही टेंडर नहीं भरते हैं, वहीं प्राधिकरण के पास 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक की सम्पत्तियां फिलहाल बिक्री के लिए उपलब्ध हैं, जिनमें से अभी 600 करोड़ रुपए के टेंडर भी जारी किए गए हैं।
प्राधिकरण में कुशल प्रबंधन का ही यह परिणाम है कि पहली बार मात्र 4 महीने में ही प्राधिकरण को 580 करोड़ रुपए की आय सम्पत्तियों को बेचने से अर्जित हुई है। इस वित्त वर्ष में 1 अप्रैल से लेकर 31 जुलाई तक प्राधिकरण ने जहां 131.56 करोड़ रुपए विकास कार्यों पर खर्च किए, तो इसकी तुलना में 580 करोड़ रुपए की आय अर्जित की। प्राधिकरण ने अभी 600 करोड़ रुपए के भूखंड-फ्लेटों के टेंडर भी जारी कर दिए हैं। प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार की अभी प्रमुख सचिव संजय दुबे ने भी प्रशंसा की और पिछले दिनों ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी खुले मंच से प्राधिकरण द्वारा सफलतापूर्वक किए गए प्रोजेक्टों की प्रशंसा की थी, वहीं रियल इस्टेट के कारोबार में जो पिछले दिनों तेजी रही उसका फायदा प्राधिकरण को भी मिला और उसकी आवासीय-व्यवसायिक, शैक्षणिक सहित अन्य उपयोग की सम्पत्तियां तेजी से बिकी।
बीते 8-10 वर्षों का अगर आय-व्यय का आंकड़ा देखा जाए तो यह पहला मौका है, जब प्राधिकरण ने मात्र 4 महीने में ही 580 करोड़ रुपए तक की आय अर्जित कर ली, जबकि अभी वित्त वर्ष के 8 माह शेष बचे हैं। प्राधिकरण सीईओ अहिरवार के मुताबिक वर्तमान में लगभग 11 हजार करोड़ रुपए मूल्य की सम्पत्तियां उपलब्ध हैं, तो दूसरी तरफ आधा दर्जन से अधिक जो नई टीपीएस योजनाएं घोषित की गई है, उनकी सम्पत्तियां तो अभी इसमें शामिल ही नहीं है। पूर्व की योजनाओं में प्राधिकरण के पास आवासीय भूखंडों की संख्या ही 817 है, तो व्यवसायिक भूखंडों की संख्या 428, इसमें शैक्षणिक भूखंड एक दर्जन और सार्वजनिक एवं अद्ध्र्रसार्वजनिक यानी पीएसपी के भूखंडों की संख्या 30 है। इसके अलावा 1, 2, 3 बेडरूम के डेढ़ हजार से अधिक निर्मित फ्लेट भी बिक्री के लिए मौजूद हैं। वहीं 126 दुकानें भी प्राधिकरण के पास उपलब्ध हैं, जिन्हें अब टेंडर के जरिए बेचा जाएगा। कुल 3073 सम्पत्तियां प्राधिकरण के खजाने में है।
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