
नई दिल्ली: भारतीय सेना (Indian Army) की ताकत को कई गुना बढ़ाने वाला स्वदेशी मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर पिनाका (Swadeshi Multi Barrel Rocket Launcher Pinaka) अब और ज्यादा ताकतवर बन चुका है. आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत विकसित पिनाका एक्सटेंडेड रेंज गाइडेड रॉकेट सिस्टम (Extended Range Guided Rocket System) ने हाल ही में अपना यूजर ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. अब यह जल्द ही भारतीय सेना में शामिल कर दिया जाएगा.
अब तक पिनाका रॉकेट की रेंज लगभग 37 किलोमीटर थी, लेकिन इसके नए वर्जन की मारक क्षमता को बढ़ाकर 75 किलोमीटर से भी ज्यादा कर दिया गया है. यह क्षमता अब दुश्मन के ठिकानों को पहले से दोगुनी दूरी से तबाह करने में सक्षम होगी.
नया पिनाका गाइडेड रॉकेट सिस्टम अब सिर्फ फायर एंड फॉरगेट हथियार नहीं रह गया है, बल्कि यह अब जीपीएस (GPS) और इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) से लैस हो चुका है. इसका मतलब है कि रॉकेट लॉन्च होने के बाद यह अपने टारगेट को सटीकता से 25 मीटर के भीतर हिट कर सकता है चाहे वह किसी भी इलाके में क्यों न हो. अगर कोई GPS सिग्नल बाधित होता है तो INS इसे ट्रैक पर बनाए रखता है.
एक पिनाका बैटरी में 6 लॉन्चर यूनिट्स होती हैं और हर लॉन्चर में 12 ट्यूब्स, यानी कुल 72 रॉकेट. यह सभी रॉकेट मात्र 44 सेकंड में लॉन्च किए जा सकते हैं और इसके तुरंत बाद लॉन्चर अपने स्थान को बदल सकते हैं ताकि दुश्मन की जवाबी कार्रवाई से बचा जा सके.
हाल ही में सेना ने एरिया डिनायल म्यूनिशन (ADM) टाइप-1 (DPICM) और हाई एक्सप्लोसिव प्री-फ्रैग्मेंटेड (HEPF) Mk-1 (एन्हांस्ड) रॉकेट की खरीद भी की है. इससे पिनाका की मारक क्षमता और भी ज्यादा घातक हो गई है.
सेना के सूत्रों के अनुसार, अब तक भारतीय सेना के पास पिनाका की 4 रेजिमेंट थीं, जिन्हें बढ़ाकर 10 रेजिमेंट किया जा रहा है. इसके लिए मौजूदा 120 मिमी मोर्टार लाइट रेजिमेंट्स को ही अपग्रेड कर पिनाका रेजिमेंट में बदला जा रहा है. अब तक 2 रेजिमेंट बदले जा चुके हैं, और अगले दो साल में यह संख्या 10 हो जाएगी.
इस घातक हथियार प्रणाली के निर्माण में टाटा एडवांस सिस्टम्स और लार्सन एंड टुब्रो (L&T) जैसी स्वदेशी कंपनियों ने भी अहम भूमिका निभाई है. डीआरडीओ (DRDO) ने तीन चरणों में इसके ट्रायल किए थे. जिनमें यह सभी मानकों पर पूरी तरह से खरा उतरा.
भारत की सुरक्षा जरूरतों और भविष्य के युद्धों को ध्यान में रखते हुए पिनाका एक्सटेंडेड रेंज सिस्टम एक गेम चेंजर साबित होगा. यह न केवल दुश्मन के बड़े इलाके को बर्बाद करने में सक्षम है, बल्कि इसकी सटीकता और स्वदेशी तकनीक इसे भारत की आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली का गौरव भी बनाती है.
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