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जुलाई में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 11 महीने के हाई पर, निर्यात और बिक्री में तेज वृद्धि के कारण हुआ संभव

August 05, 2025

नई दिल्ली। भारतीय सेवा क्षेत्र (Indian Services Sector) की वृद्धि जुलाई में 11 महीने के उच्चतम स्तर (Highest Level) पर पहुंच गई, जिसे नए निर्यात (Export) ऑर्डरों में तेजी और समग्र बिक्री में तेज वृद्धि से समर्थन मिला। मंगलवार को एक मासिक सर्वेक्षण में इससे जुड़े आंकड़े जारी किए गए। मौसमी रूप से समायोजित एचएसबीसी इंडिया सर्विसेज पीएमआई बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स जुलाई में 60.5 पर रहा। यह जून के 60.4 से थोड़ा अधिक है। इसमें विस्तार की दर अगस्त 2024 के बाद से सबसे अच्छी देखी गई थी। क्रय प्रबंधक सूचकांक की भाषा में, 50 से ऊपर का अंक विस्तार को दर्शाता है, जबकि 50 से नीचे का अंक संकुचन दर्शाता है।

एचएसबीसी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा, “सेवा पीएमआई 60.5 पर, नए निर्यात ऑर्डरों में वृद्धि के कारण मजबूत वृद्धि की गति का संकेत देता है।” सर्वेक्षण के अनुसार नए व्यवसायों में लगातार इजाफा उत्पादन वृद्धि का मुख्य कारण रहा है। साथ ही, भारतीय सेवा प्रदाताओं के सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग में भी मजबूत सुधार आया है। सर्वेक्षण में कहा गया है, “उन्हें एशिया, कनाडा, यूरोप, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका से नए काम मिलने की सूचना मिली है।”

आगे बढ़ते हुए, सेवा प्रदाता आने वाले वर्ष में उत्पादन की अपनी उम्मीदों को लेकर औसतन आशावादी थे। उन्होंने कहा कि व्यावसायिक आत्मविश्वास को बढ़ावा देने वाले कारकों में दक्षता में वृद्धि, विपणन, तकनीकी नवाचार और बढ़ती ऑनलाइन उपस्थिति शामिल हैं। कीमतों के मोर्चे पर, इनपुट लागत और आउटपुट शुल्क जून की तुलना में तेजी से बढ़े। सर्वेक्षण में कहा गया है, “उत्पादन कीमतों में ठोस वृद्धि, लागत के बढ़ते बोझ और माँग की मजबूती को दर्शाती है।”


भंडारी ने कहा, “कीमत के मोर्चे पर, इनपुट और आउटपुट दोनों की कीमतें जून की तुलना में थोड़ी तेजी से बढ़ीं, लेकिन आगे चलकर इसमें बदलाव हो सकता है, जैसा कि हाल के सीपीआई और डब्ल्यूपीआई आंकड़ों से संकेत मिलता है।” उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी से 4 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है। जून में यह 2.1 प्रतिशत थी।

थोक मूल्य मुद्रास्फीति 19 महीने के अंतराल के बाद नकारात्मक हो गई, जून में इसमें 0.13 प्रतिशत की गिरावट आई। इस बीच, आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली दर निर्धारण समिति ने सोमवार को अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति तय करने के लिए तीन दिवसीय विचार-विमर्श शुरू कर दिया है, जिसमें दरों में ढील के चक्र में विराम की उम्मीद है।

गवर्नर मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय दर निर्धारण समिति- मौद्रिक नीति समिति- बुधवार (6 अगस्त) को अगली द्विमासिक नीति दर की घोषणा करने वाली है। विशेषज्ञों का मानना है कि रिजर्व बैंक इस बार यथास्थिति बनाए रख सकता है और अमेरिका द्वारा 7 अगस्त से भारतीय आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद अधिक मैक्रो डेटा का इंतजार कर सकता है।

नौकरियों के मामले में कंपनियों की क्षमता पर दबाव दिखा, कुछ नियुक्तियों में कमी आई। जुलाई में रोजगार में वृद्धि 15 महीनों में सबसे धीमी रही। सर्वेक्षण में कहा गया है, “नौकरी सृजन की दर मामूली रही, जो मोटे तौर पर दीर्घकालिक औसत के बराबर रही। 2 प्रतिशत से भी कम कंपनियों ने अतिरिक्त कर्मचारियों की नियुक्ति की, और अधिकांश कंपनियों ने जून से कोई बदलाव नहीं होने का संकेत दिया।”

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