
उत्तरकाशी। उत्तरकाशी (Uttarkashi) के धराली गांव (Dharali village) में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ के पांच दिन बाद शुक्रवार को प्रभावितों को ‘तत्काल राहत’ के तौर पर 5,000-5,000 रुपये के चेक दिए गए। विनाश की भयावहता को देखते हुए कई लोगों ने राहत राशि को ‘बेहद अपर्याप्त’ बताते हुए इसे लेने से इनकार कर दिया। लोगों ने कहा कि यह ‘हमारे दुखों का अपमान’ है। एक ग्रामीण ने कहा, “हमने अपना सब कुछ खो दिया है, हमारे परिवार, घर, करोड़ों का व्यवसाय। यह रकम अपमान है।”
एक रिपोर्ट के अनुसार, लोगों ने बताया कि आपदा के बाद इलाके में बिजली नहीं थी, इसलिए उन्हें मोमबत्तियों के पैकेट बांटे गए, लेकिन वो भी चार दिन बाद उन तक पहुंचे। एक अन्य शख्स ने कहा, “हमने वो रातें अंधेरे में बिताईं। खाना गर्म करने के लिए लकड़ियां जलाईं। सरकार राशन की बात करती है, लेकिन वो भी हम तक नहीं पहुंचा। राशन ढूंढ़ने के लिए हमें दर-दर भटकना पड़ा।”
ग्रामीणों ने शुक्रवार को डीएम और एसडीएम के दफ्तरों के बाहर प्रदर्शन किया और मदद की धीमी गति को लेकर “मोदी घाम तापो” के नारे लगाए। बता दें कि, प्रधानमंत्री मोदी ने मार्च में हर्षिल और मुखबा के दौरे पर आए थे और इस क्षेत्र में विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए तब इस नारे का इस्तेमाल किया गया था। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि वही गांव अब बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। एक आपदा प्रबंधन अधिकारी ने कहा कि 5,000 रुपये के चेक एक तात्कालिक उपाय थे और नुकसान का पूरा आकलन अभी किया जा रहा है।
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