
नई दिल्ली । रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अध्यक्ष समीर वी. कामत (Sameer V. Kamat) ने शनिवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में भारत की अत्याधुनिक ब्रह्मोस मिसाइल (Brahmos Missile) और आकाशतीर रक्षा प्रणाली (Akashtiar Defence System) ने निर्णायक भूमिका निभाई। ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था। इस आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी।
कामत ने बताया कि अटैक स्टेज में ब्रह्मोस मिसाइल को मुख्य हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया, जिसे सुखोई मार्क 1 प्लेटफॉर्म से दागा गया। वहीं, उन्होंने आकाशतीर प्रणाली को रक्षात्मक हथियार प्रणाली की रीढ़ बताया। कामत ने कहा कि इस स्वदेशी एंटी-ड्रोन नेटवर्क ने सीमा पर आने वाले खतरों की पहचान और उन्हें नष्ट करने के लिए सही हथियार चुनने में अहम योगदान दिया।
उन्होंने कहा, “सभी सेंसर को आकाशतीर नेटवर्क से जोड़ा गया, जिससे आने वाले खतरों की पहचान कर उचित हथियारों की तैनाती संभव हुई। एडवांस चेतावनी और नियंत्रण वाले विमानों का इस्तेमाल भी निगरानी के लिए किया गया। इसके अलावा एमआरएसएएम प्रणाली भी रक्षा में लगी रही।” डीआरडीओ प्रमुख ने भारत के रक्षा अनुसंधान एवं उत्पादन क्षेत्र की लगातार बढ़ती ताकत पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “यह हम सभी के लिए गर्व का क्षण है। यह हमारे रिसर्च, डेवलपमेंट और प्रोडक्शन की शक्ति का प्रतिबिंब है। आने वाले समय में यह उपलब्धियां और बढ़ेंगी।”
रक्षा उत्पादन में रिकॉर्ड
रक्षा मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन 1,50,590 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जो पिछले वित्त वर्ष के 1.27 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि है। यह 2019-20 के 79,071 करोड़ रुपये की तुलना में लगभग 90 प्रतिशत अधिक है। कमत ने इस सफलता का श्रेय आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियानों को देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को सराहा।
ब्रह्मोस और आकाशतीर: भारत की नई शक्ति
आकाशतीर: पूरी तरह स्वदेशी, स्वचालित वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रणाली, जिसने भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान हर आने वाली मिसाइलों को रोका और नष्ट किया।
ब्रह्मोस: भूमि और समुद्री लक्ष्यों पर सटीक हमले करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, जो भारत की रक्षा कूटनीति और प्रतिरोध क्षमता को मजबूत बनाती है। यह भारत-रूस रक्षा सहयोग का सफल उदाहरण भी है।
कामत ने यहां डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (डीआईएटी) के 14वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पश्चिमी सीमाओं पर अत्यंत समन्वित एवं बहुआयामी अभियान ने न केवल सैनिकों के साहस को प्रदर्शित किया, बल्कि उस प्रौद्योगिकी को भी रेखांकित किया, जिसने उनका समर्थन किया।
उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक मिशन से कहीं अधिक था और यह आत्मनिर्भरता, रणनीतिक दूरदर्शिता और स्वदेशी प्रौद्योगिकी में भारत की ताकत को प्रदर्शित करता है। कामत ने कहा कि अभियान दुनिया को यह संदेश था कि भारत में स्वदेशी प्रौद्योगिकी के माध्यम से अपनी सीमाओं की रक्षा करने की क्षमता है।
डीआरडीओ प्रमुख ने कहा कि सेंसर, ड्रोन और सुरक्षित संचार से लेकर एआई आधारित निर्णय लेने में सहायक प्रणाली और सटीक हथियारों तक, स्वदेशी संसाधनों ने अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि अभियान के लिए तैनात प्रणालियों में ‘आकाश’ सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, ‘ब्रह्मोस’ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, डी4 एंटी-ड्रोन सिस्टम, एडब्ल्यूएनसी एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम और आकाशतीर प्रणाली शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास तंत्र द्वारा विकसित की गई हैं। गौरतलब है कि भारतीय सशस्त्र बलों ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, जिसका उद्देश्य पहलगाम हमले का बदला लेना था। इस मिशन में भारत की आक्रामक और रक्षात्मक दोनों क्षमताओं का प्रदर्शन हुआ, जिसने देश की सामरिक ताकत का स्पष्ट संदेश दिया।
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