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New Income Tax Bill 2025: नए इनकम टैक्स बिल से किसको कितना होगा फायदा, जानें इसमें क्‍या है खास?

August 12, 2025

नई दिल्‍ली । नया विधेयक(New Bill) आम लोगों के लिए टैक्स प्रक्रिया (Tax Process)को सरल बनाने पर केंद्रित है। कर वर्ष की नई व्यवस्था(new order) से भ्रम खत्म होगा, टीडीएस दावों(TDS claims) की समयसीमा छह साल से घटाकर दो साल की गई है और शून्य टैक्स देनदारी वालों को ‘शून्य टीडीएस सर्टिफिकेट’ मिल सकेगा। सरकार का कहना है कि ये बदलाव पारदर्शिता बढ़ाएंगे और विवादों को कम करेंगे। विधेयक अब राज्यसभा से पास होने के बाद कानून का रूप लेगा।


रिफंड की उम्मीद अब भी बरकरार

सरकार ने नए आयकर विधेयक-2025 के संशोधित संस्करण में एक बड़ा बदलाव करते हुए देर से आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरने वालों को राहत दी है। अब तक की नियमावली के मुताबिक, अगर कोई करदाता आईटीआर भरने की अंतिम तारीख चूक जाता था, तो उसे रिफंड नहीं मिल पाता था। लेकिन नए बिल में पुराना प्रावधान फिर से जोड़ा गया है, जिससे देरी से आईटीआर दाखिल करने के बाद भी रिफंड मिल सकेगा। यह कदम खासकर वेतनभोगियों और छोटे कारोबारियों के लिए बेहद मददगार साबित होगा।

Tax Year की नई व्यवस्था

विधेयक में करदाताओं की परेशानी दूर करने के लिए ‘कर वर्ष’ की सरल व्यवस्था लागू की गई है। पहले लोगों को आईटीआर भरते समय ‘आकलन वर्ष’ और ‘वित्त वर्ष’ में दुविधा होती थी। अब सिर्फ उस साल को ‘कर वर्ष’ माना जाएगा, जिसमें कर चुकाया गया है। मिसाल के तौर पर, अगर किसी ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए टैक्स जमा किया है, तो उसी को कर वर्ष मानकर रिटर्न भरा जाएगा।

वेतनभोगियों के लिए खुशखबरी

संशोधित विधेयक में वेतन पाने वालों को कई तरह की छूट मिलेगी। सेक्शन 87ए के तहत छूट की सीमा बढ़ाकर ₹60,000 कर दी गई है, जिससे ₹12 लाख तक की आय वाले लोगों को कोई टैक्स नहीं देना होगा। साथ ही, निजी पेंशन योजनाओं में एकमुश्त पैसे निकालने पर अब सरकारी कर्मचारियों की तरह कर छूट मिलेगी। केंद्र की एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) से जुड़े कर लाभ भी बरकरार रहेंगे।

संपत्ति मालिकों को मिली राहत

घर या मकान रखने वालों के लिए भी नए बिल में कई सुधार किए गए हैं। अगर कोई इमारत अस्थायी रूप से खाली पड़ी है, तो उस पर ‘नॉटिकल रेंट टैक्स’ नहीं लगेगा। किराए की आय पर मिलने वाली 30% मानक कटौती अब नगरपालिका टैक्स घटाने के बाद ही लागू होगी, जिससे टैक्स बचत होगी। किराए पर दी गई संपत्ति के लिए प्री-कंस्ट्रक्शन इंटरेस्ट की कटौती भी जारी रहेगी।

कंपनियों और दान संस्थाओं को फायदा

व्यापार जगत के लिए सबसे बड़ी राहत डिविडेंड पर टैक्स को लेकर है। नए प्रावधान के मुताबिक, अब एक ही डिविडेंड पर बार-बार टैक्स नहीं लगेगा। गैर-लाभकारी संस्थाओं और धार्मिक ट्रस्टों को मिलने वाले गुमनाम दान पर भी टैक्स छूट जारी रहेगी। सूक्ष्म और छोटे उद्यमियों (एमएसएमई) को स्पष्टता देने के लिए उनकी परिभाषा एमएसएमई कानून-2006 के मुताबिक तय की गई है।

आयकर विभाग को मिले नए अधिकार

विधेयक में आयकर अधिकारियों को तलाशी और जब्ती के मामलों में अधिक शक्तियां दी गई हैं। अब वे इमारतों में प्रवेश करने, ताले तोड़ने और इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों की जांच कर सकेंगे। हालांकि, ये अधिकार तभी इस्तेमाल होंगे जब कोई व्यक्ति समन जारी होने के बावजूद जरूरी कागजात पेश नहीं करता।

54 साल पुराने कानून की जगह लेगा नया बिल

मौजूदा आयकर कानून 1961 में बनाया गया था, जिसमें अब तक सैकड़ों संशोधन हो चुके हैं। नया विधेयक इसकी जगह लेगा और आकार में लगभग आधा होगा। पुराने कानून में 5.12 लाख शब्द और 819 धाराएं थीं, जबकि नए बिल में सिर्फ 2.6 लाख शब्द और 536 धाराएं हैं। इसे बनाने में लोकसभा की प्रवर समिति की 285 सिफारिशों को पूरी तरह शामिल किया गया है।

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