
नई दिल्ली । बॉम्बे हाई कोर्ट(Bombay High Court) ने मुंबई पुलिस(मुंबई पुलिस ) से पूछा है कि आखिर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (communist party of india) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सिस्ट (CPM) को गाजा युद्ध को लेकर शहर में प्रदर्शन की इजाजत क्यों नहीं दी गई। जस्टिस रवींद्र वी घुगे और जस्टिस गौतम अंखाड़ की बेंच ने पुलिस से कहा कि इसी तरह के प्रदर्शन की इजाजत पुणे में दे दी गई थी। बेंच ने कहा, यह हमारे देश की नहीं बल्कि किसी और देश की समस्या है इसके बावजूद वे प्रदर्शन करना चाहते हैं। इसमें आखिर समस्या क्या है। अगर पुणे में इजाजत दी जा सकती है को मुंबई में भी दी जा सकती है।
दरअसल वामपंथी दल मुंबई के आजाद मैदान में एक प्रदर्शन करना चाहते थे। गाजा में चल रह युद्ध और सीजफायर की मांग को लेकर वे दुनियाभर के संगठनों का साथ देने के लिए एक रैली करना चाहते थे। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि नरसंहार का सामना कर रहे फिलिस्तीनियों के लिए वे आवाज उठाना चाहते हैं। उनकी मांग है कि गाजा के लोगों तक मानवीय सहायता निर्बाध तरीके से पहुंचनी चाहिए।
याचिका के मुताबिक 17 जून को प्रदर्शन के लिए परमीशन मांगी गई थी जिसे पुलिस ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह विदे नीति का मामला है और इससे विवाद पैदा हो सकता है। पुलिस ने कहा कि इस प्रदर्शन से कई धार्मिक संगठन बवाल कर सकते हैं और कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। इसके अलावा 25 जून और 19 जुलाई को भी परमीशन नहीं दी गई। हाई कोर्ट ने पुलिस को पहले भी निर्देश दिया था कि परमीशन पर विचार किया जाए।
प्रदर्शन के लिए इजाजत मांगने वाली पार्टियों का कहना था कि विदेश मंत्राय ने भी युद्धविराम और मानवीय सहायता का समर्थन किया है। ऐसे में उनका प्रदर्शन विदेश नीति के खिलाफ नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह सरकार की नीति के खिलाफ होता भी है तो उन्हें अभिव्यक्ति का अधिकार है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved