मुंबई। महाराष्ट्र में स्वतंत्रता दिवस (independence day in maharashtra) के दिन मांस की दुकानों और बूचड़खानों को बंद (Close the slaughterhouses) करने के निर्देश ने एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। नासिक, जलगांव, कोल्हापुर, इचलकरंजी, नागपुर और कल्याण-डोंबिवली जैसे कई नगर निगमों ने 15 अगस्त को मांस की बिक्री और पशु वध पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। इस फैसले ने न केवल विपक्षी दलों, बल्कि सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के भीतर भी तीखी प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि यह निर्णय राज्य सरकार का नहीं है, बल्कि यह 1988 में जारी एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) पर आधारित है, जिसके तहत नगर निगमों को स्वतंत्र रूप से ऐसे फैसले लेने का अधिकार है। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार का इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं है। हमारा कोई इरादा नहीं है कि हम यह तय करें कि कौन क्या खाए। हमारे सामने कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे हैं।” फडणवीस ने यह भी बताया कि उन्हें इस जीआर की जानकारी मीडिया के माध्यम से मिली और यह नियम पूर्ववर्ती सरकारों, जिसमें उद्धव ठाकरे की सरकार भी शामिल थी, के दौरान भी लागू था।
हालांकि, उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार ने इस प्रतिबंध पर असहमति जताई। उन्होंने कहा, “ऐसा प्रतिबंध लगाना गलत है। बड़े शहरों में विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग रहते हैं। अगर यह भावनात्मक मुद्दा है, तो लोग एक दिन के लिए इसे स्वीकार सकते हैं, लेकिन महाराष्ट्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे अवसरों पर इस तरह के आदेश लागू करना मुश्किल है।”
विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन, जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) शामिल हैं, ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने कल्याण-डोंबिवली नगर निगम के आयुक्त की निलंबन की मांग की और कहा, “स्वतंत्रता दिवस पर हम क्या खाएं, यह हमारा अधिकार और स्वतंत्रता है। यह न तो धर्म का मामला है और न ही राष्ट्रीय हित का।” उन्होंने यह भी कहा कि उनकी परंपरा में नवरात्रि के दौरान भी झींगे और मछली प्रसाद के रूप में शामिल हैं।
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