
इंदौर। एआईसीटीएसएल (AICTSL) द्वारा दौड़ाई जाने वाली सिटी (City) और अंतरराज्यीय बसें (Interstate buses) जर्जर और खटारा पड़ी है। अभी इनमें से एक बस को धार के इंजीनियर से मॉडिफाई (Modify) करवाकर स्कूल के रूप में तब्दील करवाया गया। संभागायुक्त दीपकसिंह की पहल पर यह नवाचार किया गया और अब इस बस में श्रमिक बस्तियों में रहने वाले मजदूरों के बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाया जाएगा। यह स्कूलनुमा बस योजना क्रमांक 140 में स्थानीय रूप से खड़ी करवाकर संचालित की जा रही है।
वैसे तो सरकारी स्कूल भी कई है, मगर कई क्षेत्रों में बच्चे किन्हीं कारणों से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, उनके लिए मस्ती की पाठशाला का प्रयोग संभागायुक्त दीपकसिंह ने करवाया है। मरम्मत योग्य एक बस को सुंदर और सुव्यवस्थित स्कूल का स्वरूप दिया गया और शहर के प्रसिद्ध स्कूल में शिक्षा दे रही श्रीमती माधुरी मोइदे द्वारा इस बस स्कूल का संचालन किया जाएगा। संभागायुक्त श्री सिंह ने इस अनूठे स्कूल का फीता भी बालिका छाया से कटवाया। धार के इंजीनियर अजीत ने बड़ी कुशलता से इस बस को बच्चों के आराम से बैठने और किताबों के साथ पढऩे लायक तैयार किया है। अब यह बच्चे गर्मी, बरसात या ठण्ड में खुले आसमान की बजाए इस स्कूल बस में बैठकर पढ़ाई कर सकेंगे। इसमें ब्लैकबोर्ड के साथ कुर्सी, टेबल की व्यवस्था भी की गई है और बच्चों को कॉपी, किताबें सहित अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएगी। अभी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस स्कूली बस की शुरुआत की गई और इसके बारे में श्रीमती मोइदे का कहना है कि बीते कई सालों से श्रमिक बस्तियों में रहने वले बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रही हैं और कई दिनों से ऐसे स्कूल की तलाश में थी, जहां बच्चों को एक सुरक्षित छत मिल सके और मौसम के बचाव के साथ वे पढ़ाई कर सके। एआईसीटीएसएल से मिली पुरानी जर्जर बस को संभागायुक्त की पहल पर स्कूल के रूप में तब्दील करवाया और अब यह स्कूल बस योजना 140 में स्थायी रूप से खड़ी रहेगी, जिसमें मजदूरों के बच्चे पढ़-लिख सकेंगे। संभागायुक्त के मुताबिक इस तरह का प्रयोग आगे भी किया जारी रहेगा और चलित स्कूल बस की सुविधा भी ऐसे क्षेत्रों में दी जाएगी, जहां पर सरकारी स्कूल नहीं है।
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