
जम्मू । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने कहा कि कठुआ आपदा में राहत और बचाव कार्य के लिए (For Relief and Rescue operations in the Kathua Disaster) केंद्र सरकार हर संभव पूर्ण सहयोग करेगी (Central Government will provide all possible Support) । अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से बात कर यह आश्वासन दिया ।
अमित शाह ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “कठुआ में बादल फटने के संबंध में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री से बात की। स्थानीय प्रशासन द्वारा राहत-बचाव कार्य चलाया जा रहा है और एनडीआरएफ की टीमें भी घटनास्थल पर पहुंच गई हैं। केंद्र सरकार की ओर से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। हम जम्मू-कश्मीर के अपने भाइयों और बहनों के साथ मजबूती से खड़े हैं।” अधिकारियों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात बादल फटने से चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। उन्होंने यह भी बताया कि प्रभावित क्षेत्र में बचाव अभियान जारी है।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कठुआ में बादल फटने की घटना पर अपडेट पोस्ट करते हुए कहा, “घायलों को उचित अस्पतालों में पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर सेवाओं की व्यवस्था की गई है। 6 घायलों को पठानकोट के मामून में अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जो अपेक्षाकृत नजदीकी स्थान पाया गया है। पुलिस उपमहानिरीक्षक, शिव कुमार शर्मा अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर डेरा डाले हुए हैं और लगातार संपर्क में हैं। आवश्यकता पड़ने पर आगे की सहायता की व्यवस्था की जाएगी।”
सिंह ने पहले बताया था कि उन्होंने नागरिक प्रशासन, सेना और अर्धसैनिक बलों को तुरंत कार्रवाई करने के लिए कहा है और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। पिछले चार दिनों में जम्मू-कश्मीर में बादल फटने की यह दूसरी घटना है। 14 अगस्त को किश्तवाड़ ज़िले के पड्डेर उप-मंडल के चशोती गांव में भीषण बादल फटा था।
किश्तवाड़ में अब तक 65 शव बरामद किए जा चुके हैं और 100 से ज़्यादा लोगों को बचाया गया है। इसके अलावा, 75 लोगों के लापता होने की सूचना उनके परिवारों ने दी है, हालांकि स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि सैकड़ों लोग अचानक आई बाढ़ में बह गए होंगे और विशाल पत्थरों, लकड़ियों और मलबे के नीचे दब गए होंगे।
यह आपदा 14 अगस्त को दोपहर लगभग 12.25 बजे मचैल माता मंदिर जाने वाले रास्ते के आखिरी मोटर-योग्य गाँव चशोती में आई। इसने एक अस्थायी बाज़ार, मचैल माता यात्रियों के लिए एक सामुदायिक रसोईघर और एक सुरक्षा चौकी को तहस-नहस कर दिया। इस अचानक आई बाढ़ में कम से कम 16 आवासीय घर और सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पनचक्कियाँ, एक 30 मीटर लंबा पुल और एक दर्जन से ज़्यादा वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए।
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