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इस गांव में पहली बार दलित ने कटवाए बाल, 78 साल बाद हटा छुआछूत का कलंक

August 19, 2025

बनासकांठा: गुजरात (Gujrat) के बनासकांठा जिले (Banaskantha District) के अलवाड़ा गांव (Alwara Village) में 7 अगस्त को एक ऐतिहासिक घटना हुई, जो सामाजिक समानता (Social Equality) की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यहां के 24 वर्षीय खेतिहर मज़दूर कीर्ति चौहान (Laborer Kirti Chauhan) ने गांव के नाई की दुकान पर बाल कटवाए. यह पहली बार था जब किसी दलित (Dalit) को गांव के नाई के दुकान पर यह सुविधा मिली. गांव के दलित समुदाय ने इसे मुक्ति का क्षण माना.

रिपोर्ट के अनुसार, अलवाडा गांव मे 6500 लोगों की आबादी है. इसमें से लगभग 250 दलित हैं. इस गांव में पीढ़ियों से स्थानीय नाई दलितों के बाल नहीं कटते थे. इसकी वजह से उन्हें पड़ोसी गांवों में जाकर यह सेवा लेनी पड़ती थी और अक्सर भेदभाव से बचने के लिए अपनी जाति छिपानी पड़ती थी.


बाल कटालने वाली भावुक कीर्ति चौहान ने कहा, ‘मैं यहां बाल कटवाने वाली पहली दलित हूं. मुझे याद है, हमें बुनियादी साज-सज्जा के लिए दूसरे शहरों और गांव में जाना पड़ता था. अपने जीवन के 24 वर्षों में, आखिरकार मुझे अपने ही गांव में आजादी और स्वीकृति का एहसास हुआ’. यह सफलता दलित समुदाय के निरंतर संघर्ष और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता चेतन डाभी का समर्थन से प्राप्त हुई. उन्होंने उच्च जातियों और नाइयों को इस प्रथा की असंवैधानिकता के बारे में जागरूक किया. जब बातचीत नहीं बनी तो उन्होंने पुलिस और जिला प्रशासन से मदद मांगी. प्रशासन की मदद के बाद गांव के दलितों को यह आजादी मिली.

गांव के सरपंच सुरेश चौधरी ने स्वीकार किया कि मुझे पहले से चली आ रही इस प्रथा के बारे में अपराधबोध था. उन्होंने कहा ‘मुझे गर्व है कि मेरे कार्यकाल में यह कुप्रथा समाप्त हो गई’. इस प्रथा को खत्म करने के लिए जिला प्रशासन ने अहम भूमिका निभाई है. प्रशासन के मामलातदार जनक मेहता ने कहा हमें भेदभाव की शिकायतों का समाधान किया और ग्राम प्रधानों के साथ मिलकर सौहार्दपूर्ण समाधान सुनिश्चित किया.

58 वर्षीय छोगाजी चौहान बताते है कि ‘हमें बाल कटवाने के लिए मीलों पैदल चलना पड़ता था. मेरे पिता को आजादी से पहले भी यह सब सहना पड़ता था और आजादी के आठ दशक मेरे बच्चे भी यह सह रहे थे. अब जाकर इससे आजादी मिली है’. कीर्ति को ऐतिहासिक हेयरकट देने वाले 21 वर्षीय पिंटू नाई ने कहा, ‘हम पहले समाज के निर्देशों का पालन करते थे. जब बड़े-बुज़ुर्ग बदलाव के लिए राजी हो गए, तो इस पर उन्हें कोई समस्या नहीं है. यह व्यापार के लिए भी अच्छा है’.

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