
इंदौर, प्रियंका जैन देशपांडे। निजी स्कूलों के बाद अब शासकीय स्कूलों में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कोडिंग की शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया गया है, जिससे इंदौर में लगभग ढाई हजार छात्र स्कूली पढ़ाई के दौरान ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर की कई विधाओं में पारंगत हो जाएंगे। दिल्ली के संस्थान द्वारा इंदौर से टाईअप के बाद छात्रों को हर दिन सॉफ्टवेयर लैंग्वेज की ट्रेनिंग दी जा रही है। सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले छात्र न केवल अब तक आधे से ज्यादा कोर्स कम्प्लीट कर चुके हैं, बल्कि मोबाइल की लत से भी दूर हुए हैं।
इंदौर में सरकारी स्कूलों के छात्रों की दिमागी ताकत को पहचानते हुए जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन ने निजी संस्थान के साथ अनुबंध कर जिले के शासकीय स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों को कोडिंग की नि:शुल्क ट्रेनिंग की व्यवस्था कराई है। आईआईटी से निकले छात्रों द्वारा इन बच्चों को एडवांस स्टेज की कोडिंग एक ऐप में माध्यम से सिखाई जा रही है। कोडिंग सीखने वाले यह छात्र अभावों के बावजूद जुनून के साथ प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। कुछ छात्र तो मासिक प्रोग्रेस चार्ट में टॉप फाइव में बने हुए हैं। लगभग 120 से अधिक स्कूलों में यह व्यवस्था चालू कर दी गई है। यहां के अब तक ढाई हजार से अधिक छात्रों ने योग्यता हासिल कर ली है।
मोबाइल एडिक्शन हुआ दूर
सरकारी स्कूलों के छात्रों का मोबाइल एडिक्शन दूर करने के लिए शुरू की गई योजना के बाद सभी छात्र पिछले कुछ महीनों से एडवांस कोडिंग सीख रहे हैं। जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन ने जिले के शासकीय स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों को कोडिंग सिखाने के लिए दिल्ली के एक संस्थान के आईआईटी से पास छात्रों की संस्था से अनुबंध किया है। यह संस्थान ऑनलाइन ऐप के माध्यम से छात्रों को एडवांस कोडिंग लैंग्वेज सिखा रहा है। सीईओ सिद्धार्थ जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में अलग-अलग शासकीय स्कूलों के 2500 से अधिक छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इस ऐप पर पहले वीडियो के माध्यम से टास्क की जानकारी दी जाती है, उसके बाद क्विज के माध्यम से पता लगाया जाता है कि छात्र को कितना समझ आया। यदि छात्र क्विज हल कर देता है तो उसे प्रोग्रामिंग दी जाती है। हर दिन संस्थान के एक्सपर्ट छात्रों की शंकाओं का समाधान भी करते हैं, वहीं इसके लिए हर स्कूल के कम्प्यूटर टीचर को एैप संबंधित ट्रेनिंग दी गई है।
ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों ने सबसे ज्यादा दिखाइ रुचि
महूगांव के सरकारी स्कूल के 54 प्रतिशत बच्चों ने उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में एनरोलमेंट कराया है, वहीं मॉडल स्कूल के 37 प्रतिशत बच्चे कोडिंग सीख रहे हैं। भैसलाय गांव के 36 प्रतिशत छात्रों ने इसमें रुचि दिखाई है। विभाग से प्राप्त आंकड़ों पर नजर दुदाई जाए तो जिन स्कूलों में एक दो छात्र भी हैं वह भी यहां एनरोलमेंट कर चुके हैं। सबसे अधिक छात्र बाल विनय मंदिर में 239, मॉडल स्कूल महू में 190, अहिल्या आश्रम कन्या विद्यालय 172, महूगांव 172, शासकीय एक्सीलेंस महू स्कूल में 167, मॉडल स्कूल इंदौर में 138 सहित नंदानगर क्षेत्र के शासकीय विद्यालय के 108 छात्र पिछले कुछ महीनो से कोडिंग सीख रहे हैं।
भविष्य का सपना बदल गया
बाल विनय मंदिर उत्कृष्ट विद्यालय में 200 से अधिक छात्रों ने पंजीयन कराया है। इनमें से कुछ छात्र संस्थान के मासिक प्रोग्रेस चार्ट पर टॉप फाइव में बने हुए हैं। कक्षा 11वीं में पढऩे वाले सानिध्य रैकवार ने तो कोडिंग के 50 लेवल पूर्ण कर लिए हैं। वो भविष्य में सॉफ्टवेयर डेवलपर बनना चाहता है, वहीं महूगांव के अविनाश यादव, विजयनगर सरकारी स्कूल के ध्रुव याग्निक व श्याम गुर्जर टॉप फाइव रैंकिंग में शामिल किए गए हैं।
कमर्शियल टास्क भी दिलाए जाएंगे
बाल विनय मंदिर उत्कृष्ट विद्यालय की प्राचार्य पूजा सक्सेना के अनुसार भविष्य में इन्हें संस्थान की ओर से कमर्शियल टास्क भी मिलेंगे। जब ट्रेनिंग पूरी हो जाएगी तो संस्था प्लेसमेंट में भी सहयोग करेगी। ज्ञात हो कि सी प्लस प्लस, जावा जैसी लैंग्वेज स्कूलों में ही सीख कर बच्चे बड़ी-बड़ी कंपनियों में पार्ट टाइम जॉब भी कर सकेंगे। इन्हीं छात्रों में से कई छात्र भविष्य में लाखों रुपए के पैकेज पर विश्व की नामी कंपनियों में काम करते नजर आएंगे, साथ ही शासकीय स्कूल के छात्रों के लिए प्रेरणा भी बनेंगे।
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