
नई दिल्ली । भारत (India) ने मंगलवार को चीन (China) के विदेश मंत्री वांग यी (Foreign Minister Wang Yi) के साथ हुई वार्ता में ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra River) पर चीन द्वारा बनाए जा रहे बांध को लेकर अपनी गहरी चिंता जताई। इसके साथ ही सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा भी मजबूती से उठाया। वांग यी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के निमंत्रण पर नई दिल्ली आए हुए थे, जहां उन्होंने अलग-अलग स्तर की वार्ता की। बाद में उन्होंने पीएम मोदी के साथ मुलाकात की।
विदेश मंत्रालय ने दोनों पक्षों के बीच वार्ताओं के दौर संपन्न होने के बाद मंगलवार देर शाम एक वक्तव्य जारी किया। इसमें सीमा पर तनाव कम करने सहित कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। विदेश मंत्रालय ने कहा कि एस. जयशंकर और वांग यी के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान भारत ने स्पष्ट कहा कि यारलुंग त्सांगपो (ब्रह्मपुत्र) नदी के निचले हिस्सों में चीन का मेगा डैम निर्माण निचले प्रवाह वाले देशों पर गंभीर असर डालेगा। भारत ने इस मामले पर “पूर्ण पारदर्शिता” की मांग की।
भारत ने उठाया आतंकवाद का मुद्दा
भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर भी अपना सख्त रुख दोहराया और कहा कि सीमा पार आतंकवाद से निपटना भारत की प्राथमिकता है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारतीय पक्ष ने सीमापार आतंकवाद सहित सभी तरह के आतंकवाद के मुद्दे को दृढ़ता से उठाया और याद दिलाया कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के मूल उद्देश्यों में से एक आतंकवाद की बुराई का मुकाबला करना है। चीन में आयोजित होने जा रहे वार्षिक एससीओ शिखर सम्मेलन में एक पखवाड़े से भी कम समय बचा है। इस पर वांग यी ने सहमति जताई और कहा कि आतंकवाद से निपटना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। SCO की बैठक इसी महीने चीन में होने वाली है।
चीन ने उठाया ताइवान का मुद्दा, भारत का रुख स्पष्ट
वार्ता के दौरान चीनी पक्ष ने ताइवान मुद्दा उठाया। इस पर भारत ने अपने रुख को दोहराते हुए कहा कि उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं है। जयशंकर ने साफ किया कि भारत का ताइवान के साथ संबंध केवल आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक क्षेत्रों तक सीमित है और यह वही मॉडल है जैसा कि बीजिंग भी ताइवान के साथ सहयोग करता है।
जयशंकर और वांग यी ने सीमा विवाद, तनाव कम करने, सीमा निर्धारण और अन्य द्विपक्षीय मसलों पर भी चर्चा की। दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचार साझा किए। चीनी पक्ष ने जोर देकर कहा कि दोनों देश नेताओं के बीच हुए सहमतियों को लागू कर रहे हैं और सीमावर्ती इलाकों में शांति बनाए रखने के प्रयास जारी हैं। वांग ने कहा कि भारत-चीन संबंध अब फिर से सहयोग की दिशा में लौट रहे हैं और 2025 दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ होगी।
चीन जाएंगे पीएम मोदी
वार्ता के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “दिल्ली में पोलित ब्यूरो सदस्य और विदेश मंत्री वांग यी का स्वागत किया। हमारे संबंधों को तीन आपसी बातों- आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित से ही सबसे बेहतर दिशा मिल सकती है। कठिन दौर से आगे बढ़ते हुए हमें स्पष्ट और रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों, तीर्थयात्राओं, लोगों के बीच संपर्क, नदी डेटा साझेदारी, सीमा व्यापार, कनेक्टिविटी और द्विपक्षीय आदान-प्रदान पर सार्थक चर्चा हुई। वैश्विक और क्षेत्रीय मसलों पर भी विचार साझा किए। विश्वास है कि आज की बातचीत भारत-चीन संबंधों को स्थिर, सहयोगात्मक और आगे की सोच से प्रेरित बनाने में मदद करेगी।” गौरतलब है कि वांग यी की यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में चीन के तियानजिन शहर में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल होने वाले हैं।
‘सीमाएं शांत हैं, शांति एवं सौहार्द बना हुआ है’
वांग सोमवार को दो दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे। उनकी यात्रा को दोनों पड़ोसियों द्वारा अपने संबंधों को फिर से सुधारने के लिए किए जा रहे प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। वर्ष 2020 में गलवान घाटी में हुए भीषण संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी तल्खी आ गई थी। टेलीविजन पर प्रसारित अपने आरंभिक संबोधन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने विशेष प्रतिनिधि वार्ता के पिछले दौर के लिए पिछले दिसंबर में अपनी बीजिंग यात्रा को याद किया और कहा कि तब से दोनों पक्षों के बीच संबंधों में ‘‘उन्नति की प्रवृत्ति’’ रही है। उन्होंने कहा, ‘‘सीमाएं शांत हैं, शांति एवं सौहार्द बना हुआ है, हमारे द्विपक्षीय संबंध और अधिक ठोस हो गए हैं।’’
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