
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald Trump) की अलास्का में व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) से लंबी वार्ता हुई है। इसके बाद अब चर्चा जोर पर है कि अगले एक से दो सप्ताह में जेलेंस्की (Zelensky) को भी बिठाया जा सकता है। इस तरह व्लादिमीर पुतिन, डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की साथ बैठेंगे और यूक्रेन युद्ध को रोकने पर सहमति बन सकती है। चर्चा तेज है कि लुहान्स्क और डोनेत्स्क जैसे इलाकों को रूस को ही सौंप देने पर सहमति बन सकती है। इसके अलावा क्रीमिया पर भी यूक्रेन अपना दावा छोड़ देगा। यही नहीं नाटो की मेंबरशिप की मांग से भी यूक्रेन पीछे हटेगा, लेकिन कुछ हद तक सुरक्षा की गारंटी अमेरिका और यूरोपीय देश देंगे। इस तरह रूस को अमेरिका ने साध लिया है।
यदि ऐसा ही रहा तो कोल्ड वॉर से लेकर अब तक दशकों से चली आ रही प्रतिद्वंद्विता एक तरह से समाप्त हो जाएगी। अमेरिका के मुकाबले खड़ा दिखने वाला रूस अब उसके साथ कदम मिलाकर चलने वाला देश बन सकता है। ऐसी स्थिति भारत के लिए चिंताजनक हो सकती है। ऐसा इसलिए कि लंबे समय तक अमेरिका के मुकाबले रूस को तवज्जो देकर भारत ने दबाव की अपनी रणनीति कायम रखी है। इसके अलावा अमेरिका के पाले में यदि रूस खड़ा दिखता है तो फिर पाकिस्तान जैसे पड़ोसी से किसी संघर्ष की स्थिति में रूस का पहले जैसा बिना शर्त साथ मिल पाएगा या नहीं, इस पर सवाल रहेगा।
यही नहीं चर्चा है कि चीन के साथ भी डोनाल्ड ट्रंप ट्रेड डील चाहते हैं। इसके लिए वह खुद अक्तूबर के अंत तक बीजिंग का दौरा कर सकते हैं। जानकार मानते हैं कि इसके पीछे अमेरिका की खास रणनीति है। पहले चीन को अकेला करने के लिए रूस के साथ रिश्ते सुधारने का प्रयास किया। अब रूस के साथ डील होने के बाद चीन को साधा जा सकता है और ऐसा करना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा। इसे रिवर्स किसिंगर रणनीति कहा जा रहा है। दरअसल 1970 के दशक में किसिंगर ने चीन के साथ करीबी बढ़ाकर रूस को घेरने की कोशिश की थी। इसे पावर बैलेंस कहा गया था।
अब इसका रिवर्स है कि चीन को घेरने के लिए रूस से करीबी बढ़ाई है। यही नहीं इस बार एक फर्क यह है कि आगे बढ़कर चीन के साथ भी बाद में रिश्ते सुधारने की रणनीति है। अब इस स्थिति में भारत को सतर्क रहना होगा। चीन, पाकिस्तान जैसे देशों के साथ किसी भी संघर्ष को एक हद से ज्यादा बढ़ाना मुश्किल होगा। दरअसल लंबे समय से अमेरिका की यह नीति रही है कि चीन को साधने के लिए भारत से रिश्ते बेहतर रखे जाएं। अब यदि चीन और रूस से अमेरिका के रिश्ते सुधर गए तो फिर भारत के लिए स्थिति बदल जाएगी।
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