
सभी नेताओं की भोपाल से आस, लेकिन भोपाल में चलने नहीं दे रही तिकड़ी
इंदौर। भोपाल (Bhopal) में भाजपा (BJP) की जो तिकड़ी बैठी है, उसके सामने बड़े से बड़े नेताओं की चल नहीं पा रही है। अपने समर्थकों को कार्यकारिणी (executive) में उपकृत करने के लिए संगठन के सामने विधायक और मंत्रियों तक की चल नहीं पा रही है। भोपाल से स्पष्ट निर्देश है कि किसी की भी सिफारिश लेकर नहीं आए। पर्यवेक्षकों ने जो रिपोर्ट बनाई है, उसक ेआधार पर संगठन नियुक्तियां करेगा, ताकि उन लोगों को मौका मिल सके जो पार्टी का काम करते हंै और शुरू से संगठन से जुड़े हुए हैं।
हेमंत खंडेलवाल जैसे नेता के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अब संगठन में नियुक्तियों को लेकर नया फार्मूला तैयार किया गया है, जिसके माध्यम से पर्यवेक्षकों को जिले में भेजा गया था और वे जो रिपोर्ट तैयार करके लाए हैं, उसके माध्यम से ही संगठन और निगम-मंडल में लाभ के पद दिए जाएंगे। दूसरा नाम हितानंद शर्मा का है, जो वीडी शर्मा के साथ प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं, लेकिन अब हेमंत खंडेलवाल के साथ उनकी जोड़ी जम रही है और संगठन तथा संघ का बेहतर तालमेल देखने को मिल रहा है। तीसरा नाम मुख्यमंत्री मोहन यादव का है, जो इस तिकड़ी में शामिल हो गए हैं। यानि संघ, संगठन और सत्ता का जो अभी तालमेल प्रदेश में बना है, उसके सामने किसी भी नेता की नहीं चल रही है। एल्डरमैन भी इसी सूची में नियुक्त किए जाना है, क्योंकि उनका कार्यकाल भी मात्र दो साल का बचेगा, वहीं 48 निगम-मंडल में अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की नियुक्ति भी सरकार करेगा, जिसमें 3 साल का समय है। पहले यह होता आया था कि सांसद, विधायक और बड़े नेता अपने समर्थक के लिए जोर लगाते थे और उसकी सिफारिश करवाकर उसकी नियुक्ति करवा लाते थे। नगर कार्यकारिणी भी स्थानीय स्तर पर घोषित हो जाती थी, लेकिन अब सबकुछ भोपाल के हाथ में हैं और वहां से जो होगा, उसी आधार पर जिले में राजनीतिक समीकरण बनेंगे। आज से भोपाल में लिफाफे खुलना शुरू हो रहे हैं। उसमें आए नाम के आधार पर पहले सूची बनेगी और सूची में देखा जाएगा कि किस नाम की कितने नेताओं ने सिफारिश की है। जरूरत पडऩे पर जिलाध्यक्षों को बुलाकर उनसे चर्चा भी की जाएगी। कुल मिलाकर अगस्त के महीने में सत्ता और संगठन का नया ढांचा तैयार हो जाएगा।