
सासंद और महापौर भी हैं अपने समर्थक को पद दिलाने की कतार में
इंदौर। शहर भाजपा (BJP) की कार्यकारिणी (executive committee) में हर विधायक (MLA) और सांसद (MP) को महामंत्री (general secretary) पद चाहिए और इसके लिए वे बड़े नेताओ से संपर्क में लगे हुए हंै, लेकिन इस बार सबकुछ भोपाल के हाथ में होने के कारण वे कुछ कर नहीं पा रहे हैं। यही नहीं 3 महामंत्रियां में संगठन का कोटा भी अलग है।
इंदौर में सभी 6 विधायक हैं और सभी को उपकृत नहीं किया जा सकता है। वैसे अभी तक 2 नंबर से महामंत्री का एक पद आता हा है। पिछली बार सुधीर कोल्हे थे, लेकिन इस बार उनके स्थान पर किसी दूसरे नाम पर चर्चा चल रही है। यह खुलासा भी ऐनवक्त पर होगा, क्योंकि दो नंबर के मामले में केवल विधायक रमेश मेंदोला की पसंद को ही तवज्जो दी जाती है। संभवत: रोहित चौधरी को इस बार यहां से मौका मिल सकता है, जो युवा मोर्चा में रह चुके हैं और मेंदोला के खास हैं। अगर मेंदोला की नहीं चली तो 1, 2 और 3 के कोटे से फिर कोई नया नाम महामंत्री के रूप में आ सकता है। इसमें विजयवर्गीय और मेंदोला की सहमति हो सकती है। इसी गुट का एक नाम हरप्रीत बक्षी के रूप में भी पार्टी में चल रहा है। पिछली बार संगठन ने एक पद महिला महामंत्री के रूप में सविता अखंड को देकर एक नया प्रयोग किया था, जो सफल हुआ है। सविता अखंड का प्रमोशन कर उन्हें महिला मोर्चे की जवाबदारी दी जा सकती है। 4 नंबर से भी मालिनी गौड़ इस बार इस पद को अपने खाते में लाने की कोशिश कर रही है, लेकिन यहां महापौर पुष्यमित्र भार्गव और सांसद शंकर लालवानी ने पेंच फंसा रखा है। भरत पारख को लेकर महापौर सचेत हैं तो सांसद शंकर लालवानी इस पद पर अपने किसी विश्वासपात्र को बिठाना चाह रहे हैं। सिंधी समाज और संगठन की ओर से एक नाम जवाहर मंगवानी का भी सामने आ रहा है। राऊ विधानसभा को भी यह पद दिया जा सकता है, क्योंकि जीतू जिराती के साथ के कई नेता कतार में हैं और पूर्व पार्षद पति नीलेश चौधरी के नाम पर सहमति बन सकती है। खैर सभी नाम अभी लिफाफे में बंद हैं और होगा, वही जो भोपाल वाले चाहेंगे, लेकिन इस बीच जिलाध्यक्ष की राय को भी तवज्जो दी जाएगी और नियुक्ति के पहले जिले के वरिष्ठ नेताओं से भी एक बार उनकी राय पूछी जा सकती है।