
नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने सोमवार को केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) द्वारा दिए गए अहम आदेशों को रद्द कर दिया है। इन आदेशों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की डिग्री (Degree) को सार्वजनिक करने के आदेश भी शामिल हैं। वहीं हाईकोर्ट ने CIC के एक अन्य फैसले को भी पलट दिया है। कोर्ट ने CIC द्वारा 2017 में पारित उस आदेश को भी रद्द कर दिया है जिसमें सीबीएसई को पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के दसवीं और बारहवीं कक्षा के बोर्ड परीक्षा परिणामों के रिकॉर्ड्स एक आईटीआई आवेदक के साथ साझा करने का निर्देश दिया गया था।
सुनवाई के दौरान जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI एक्ट) के तहत ऐसी जानकारी का खुलासा करने के पीछे कोई वजह नहीं है। कोर्ट ने कहा, “आरटीआई आवेदन के माध्यम से मांगी गई इस जानकारी में किसी भी तरह का जनहित निहित नहीं है। सार्वजनिक पद संभालने या आधिकारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए किसी भी संबंधित शैक्षणिक योग्यताओं की कोई वैधानिक जरूरत नहीं हैं।”
हाईकोर्ट ने आगे कहा कि ऐसी जानकारी का खुलासा बेकार की जिज्ञासा या सनसनीखेजता से प्रेरित ऐसी और मांगों को बढ़ावा दे सकता है। जस्टिस दत्ता ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि जानकारी किसी सार्वजनिक व्यक्ति से संबंधित है, इसका मतलब यह नहीं है कि व्यक्तिगत डेटा पर निजता और गोपनीयता का अधिकार समाप्त हो जाता है। कोर्ट ने सीबीएसई की अपील को स्वीकार करते हुए कहा, “इस बात पर जोर देना जरूरी है कि बिना किसी सर्वोपरि जनहित के शैक्षणिक विवरणों का खुलासा व्यक्तिगत क्षेत्र में घुसपैठ के समान होगा।”
कोर्ट ने इस दौरान RTI एक्ट के उद्देश्यों की भी याद दिलाई है। कोर्ट ने कहा, “आरटीआई अधिनियम सरकारी कामकाज में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था, ना कि सनसनीखेजता को बढ़ावा देने के लिए।”
RTI आवेदन में क्या?
बता दें कि कोर्ट में 2015 में मोहम्मद नौशादुद्दीन नाम के एक शख्स द्वारा दायर आरटीआई आवेदन से संबंधी मामले पर सुनवाई चल रही थी। शख्स ने सीबीएसई से यह खुलासा करने के लिए कहा था कि क्या तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सीबीएसई बोर्ड से 1991 में मैट्रिक परीक्षा और 1993 में इंटरमीडिएट परीक्षा पास की थी। इसमें स्मृति ईरानी के दसवीं और बारहवीं कक्षा के प्रवेश पत्र और मार्कशीट की प्रति देने की मांग की गई थी।
हाईकोर्ट पहुंचा सीबीएसई
हालांकि सीबीएसई के जन सूचना अधिकारी ने याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद नौशादुद्दीन ने प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष आदेश को चुनौती दी, लेकिन वहां भी सूचना देने से इनकार कर दिया गया। इसके बाद उसने केंद्रीय सूचना आयोग के समक्ष दूसरी अपील दायर की थी। 17 जनवरी 2017 को केंद्रीय सूचना आयोग ने सीबीएसई को निर्देश दिया कि वह मांगी गई जानकारियां साझा करे। इसके बाद सीबीएसई ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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