
चंडीगढ़। हरियाणा (Haryana) के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Chief Minister Naib Singh Saini) ने राज्य विधानसभा (Assembly) में सोमवार को एक अहम घोषणा की है। उन्होंने कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों (Anti-Sikh riots) में जान गंवाने वालों के परिवार के सदस्यों को हरियाणा सरकार में नौकरियां दी जाएंगी। इस दुखद घटना में हरियाणा के 121 लोगों की जान गई थी।
सीएम सैनी ने कहा, ‘1984 के सिख विरोधी दंगों में हरियाणा के 58 लोग घायल हुए और 121 मारे गए। हमने फैसला लिया है कि ऐसे सभी परिवारों के वर्तमान में मौजूद एक सदस्य को (जिन्होंने अपने परिजनों को दंगों में खोया) उनकी सहमति से हरियाणा सरकार में प्राथमिकता के आधार पर उचित नौकरी दी जाएगी।’
क्यों भड़के थे सिख विरोधी दंगे
1984 का सिख विरोधी दंगे भारत के इतिहास में दुखद और हिंसक अध्याय रहा है, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों की ओर से हत्या के बाद भड़क उठे थे। 31 अक्टूबर 1984 को उनकी हत्या के बाद दिल्ली और अन्य उत्तरी भारतीय शहरों में सिख समुदाय के खिलाफ हिंसा शुरू हुई। भीड़ ने सिखों के घरों, व्यवसायों और गुरुद्वारों पर हमला किया, जिसमें कई लोग मारे गए। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अकेले दिल्ली में लगभग 2,800 सिख मारे गए। संपत्ति का काफी विनाश हुआ और कई परिवार बेघर हो गए।
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