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सुप्रीम कोर्ट का केंद्र से सवाल, पूछा- क्या अवैध प्रवासियों को रोकने अमेरिका की तरह बनाना चाहता हैं सीमा पर दीवार

August 30, 2025

नई दिल्‍ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को केंद्र से पूछा कि क्या वह अवैध प्रवासियों (Illegal migrants) को देश में प्रवेश करने से रोकने के लिए अमेरिका (America) की तरह सीमा पर दीवार बनाना चाहता है। अदालत ने कहा कि बांग्ला और पंजाबी भाषी भारतीयों की पड़ोसी देशों के साथ साझा सांस्कृतिक और भाषाई विरासत है। वे एक ही भाषा बोलते हैं लेकिन सीमाओं से विभाजित हैं। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल एम पंचोली की पीठ ने केंद्र से कहा कि वह अवैध प्रवासियों को खासकर बांग्लादेश में वापस भेजने में सरकारों की ओर से अपनाई गई एसओपी के बारे में उसे अवगत कराए। शीर्ष अदालत ने इस मामले में गुजरात सरकार को भी पक्षकार बनाया है।

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पश्चिम बंगाल प्रवासी कल्याण बोर्ड की ओर से दायर याचिका पर आपत्ति जताई, जिसमें बांग्लादेशी नागरिक होने के संदेह में बांग्ला भाषी प्रवासी श्रमिकों को हिरासत में लेने का आरोप लगाया गया है। इसने कहा कि कोई भी पीड़ित पक्ष अदालत के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘इस अदालत को इन संगठनों और संघों की ओर से दायर याचिकाओं पर विचार नहीं करना चाहिए, जिन्हें कुछ राज्य सरकारों का समर्थन प्राप्त हो सकता है। अदालत के समक्ष कोई पीड़ित पक्ष नहीं है। हम जानते हैं कि कुछ राज्य सरकारें अवैध प्रवासियों के बल पर कैसे फूलती-फलती हैं। जनसांख्यिकीय परिवर्तन एक गंभीर मुद्दा बन गया है।’

अवैध आव्रजन का मुद्दा बड़ा
पीठ ने मेहता से कहा कि पीड़ित लोग संसाधनों के अभाव में शायद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने में असमर्थ हैं। मेहता ने याचिकाकर्ता बोर्ड और अन्य गैर सरकारी संगठनों की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण का जिक्र करते हुए कहा, ‘जन हितैषी व्यक्तियों को अदालत का दरवाजा खटखटाने में उनकी मदद करनी चाहिए और साथ ही अमेरिका में लोगों की मदद करनी चाहिए, जहां अवैध आव्रजन का मुद्दा बड़ा है।’ न्यायमूर्ति बागची ने बाद में मेहता से पूछा, ‘क्या आप अवैध शरणार्थियों को भारत में प्रवेश करने से रोकने के लिए अमेरिका की तरह सीमा पर दीवार बनाना चाहते हैं?’


इस पर मेहता ने कहा, ‘बिल्कुल नहीं, लेकिन कोई व्यक्तिगत शिकायतकर्ता नहीं है। भारत सरकार याचिका में लगाए गए अस्पष्ट आरोपों का जवाब कैसे दे सकती है। कोई व्यक्ति आकर कहे कि मुझे बाहर निकाला जा रहा है। हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि शरणार्थी हमारे संसाधनों पर कब्जा न कर लें। हम मीडिया में आयी खबरों पर भरोसा नहीं कर सकते। ऐसे एजेंट हैं जो देश में अवैध प्रवेश में मदद करते हैं।’

राष्ट्र की अखंडता पर क्या कहा
जस्टिस बागची ने तब मेहता से कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्र की अखंडता और जैसा कि आपने कहा, हमारे संसाधनों के संरक्षण के प्रश्न हैं। साथ ही, यह याद रखने की जरूरत है कि हमारी साझा विरासत है। पश्चिम बंगाल और पंजाब में भाषा एक ही है और सीमाएं देश को विभाजित करती हैं। हम चाहते हैं कि केंद्र इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे।’ भूषण ने आरोप लगाया कि बांग्ला भाषी लोगों को उठाकर जबरदस्ती बांग्लादेश में भेजा जा रहा है। इससे पहले सुनवाई के दौरान भूषण ने पीठ को बताया कि 14 अगस्त को न्यायालय से 9 राज्यों को नोटिस जारी किए जाने के बावजूद जवाब दाखिल नहीं किए गए।

अदालत ने बांग्लादेश में हिरासत में ली गई एक गर्भवती महिला के परिवार के सदस्यों से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की ओर इशारा किया। साथ ही, कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले को स्थगित कर दिया है, क्योंकि मामला यहां लंबित है। पीठ ने उच्च न्यायालय से मामले पर शीघ्र सुनवाई करने का आग्रह किया और स्पष्ट किया कि इन कार्यवाहियों का लंबित रहना उच्च न्यायालय से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर निर्णय लेने में बाधा नहीं बनेगा। शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को कथित बांग्लादेशी नागरिकों की हिरासत के संबंध में जनहित याचिका पर कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया है।

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