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हिमाचल-उत्तराखंड से लेकर पंजाब और कश्मीर तक बारिश का कहर, लाखों लोग प्रभावित

September 01, 2025

नई दिल्ली. क्या पहाड़, क्या मैदान… कुदरत ने जमकर कहर बरपाया (wreaked havoc)  है. कहीं बादल फटने (cloud burst) से सड़कों पर मलबा बिछ गया है, तो कहीं बारिश ने शहरों को जलमग्न कर दिया. उत्तराखंड (Uttarakhand) और हिमाचल (Himachal) में भारी बारिश, भूस्खलन (Landslide) और बादल फटने से पुल टूटे हैं, घर ढहे हैं, और फसलें तबाह हो चुकी हैं. कश्मीर के गुरेज़ और रियासी में ज़मीन धंसने लगी है, हालात बिगड़े हुए हैं.

हिमाचल प्रदेश पर मौसम की मार से हाहाकार मचा हुआ है. इस बार लग रहा है कि बादलों ने तबाही मचाने का प्रण ले लिया है. कहीं बेहिसाब बरसात है, कहीं बाढ़ की मार है, कहीं जमीन खिसक रही है, कहीं चट्टानें चटक रही हैं, कहीं पहाड़ ढह रहे हैं.


मणिमहेश यात्रा और प्रशासन की कोशिशें
चंबा के भरमौर में मणिमहेश से दिल दहला देने वाले वीडियो सामने आए हैं, जिसमें उफनते नाले से रस्सी के सहारे लोग पार हो रहे हैं. मणिमहेश यात्रा को सस्पेंड कर दिया गया और हजारों श्रद्धालु फंसे हुए हैं. प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की कोशिश कर रहा है.

सड़कें बाधित और भूस्खलन
चंबा के तिस्सा रोड पर अचानक लैंडस्लाइड हुआ, जिसमें बड़ी-बड़ी चट्टानें सड़क पर गिर गईं. गनीमत रही कि कोई गाड़ी मौजूद नहीं थी. लगातार हो रही बारिश और पहाड़ी इलाकों में लैंडस्लाइड ने लोगों में डर पैदा कर दिया है.

शिमला के ग्रामीण इलाकों में भूस्खलन ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. बसंतपुर–गुम्मा–नौटीखड्ड सड़क पर एक बड़ा हिस्सा अचानक सड़क पर गिरा. गनीमत रही कि इस हादसे में कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन सड़क पूरी तरह बंद हो गई. प्रशासन मलबा हटाने में जुटा है.

पुराने मनाली इलाके में बारिश के कारण एक घर भरभरा कर गिर गया. स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुंच चुका है और मलबा हटाने का काम जारी है. कई इलाकों में ज़मीन कमजोर हो चुकी है, जिससे लोगों में डर का माहौल है. कुल्लू में भी भूस्खलन हुआ, जिससे सड़कें बाधित हो गईं और राहत कार्यों में मुश्किल आई. नदियों का जलस्तर उफान पर है, जिसका असर राष्ट्रीय राजमार्ग पर देखा गया.

उत्तराखंड में पुल और नदियों का खतरा
उत्तराखंड में भी मौसम का कहर जारी है. चमोली में नीति घाटी के मुख्य पुल टूट गए, जिससे दर्जनों गांवों का संपर्क मुख्य मार्ग से कट गया. भारी बारिश के कारण नीति–मलारी हाईवे पर तमक नाला पुल बह गया. स्थानीय लोगों और यात्रियों को सावधानी बरतने की अपील की गई.

उत्तरकाशी में यमुना नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है. मोटर पुल खतरे की जद में है. नदी किनारे बने कई होटलों की निचली मंज़िलें जलमग्न हो चुकी हैं. रेस्क्यू टीमें लगातार काम कर रही हैं. विकासनगर और सीमावर्ती गांवों में कई मकान धंस गए हैं और स्कूलों में पढ़ाई बाधित हुई है.

जम्मू-कश्मीर में रामबन, उधमपुर और जम्मू में बादल फटने और भारी बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन की तस्वीरें सामने आई हैं. रामबन में लैंडस्लाइड के बाद हाईवे टूट गया और आवाजाही ठप हो गई. कटरा में भी बाढ़ के कारण कई घरों और दुकानों में पानी घुस गया.

पंजाब में बाढ़ की विनाशलीला
पंजाब में बारिश आसमानी आफत बनकर बरस रही है. राज्य के 9 जिलों में लगभग एक हजार से अधिक गांव बाढ़ के कगार पर हैं. पंजाब के किसान, जो पूरे देश का पेट भरने की क्षमता रखते हैं, इस बार सैलाब के आगे बेबस नजर आ रहे हैं. राज्य में करीब 3 लाख एकड़ खेती वाली जमीन पर पानी भर चुका है. सिर्फ फसलें ही नहीं, किसानों की किस्मत भी भारी नुकसान झेल रही है.

बाढ़ प्रभावित इलाकों में कई गुरुद्वारे लोगों को शरण दे रहे हैं और हजारों लोगों के लिए रोजाना खाना तैयार किया जा रहा है, ताकि किसी बाढ़ पीड़ित को भूखा न सोना पड़े.

अमृतसर, गुरदासपुर, पठानकोट और फिरोजपुर में लगातार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. अमृतसर के अजनाला इलाके में कई घरों में पानी घुस गया, सड़कें जलमग्न हैं और आवाजाही मुश्किल हो गई है. ग्रामीणों को ट्रैक्टर और नाव के जरिए सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.

गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक में 40 से ज्यादा गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. सतलुज, रावी और व्यास नदियों के उफान ने कई महिलाओं और बच्चों के जीवन को खतरे में डाल दिया है. बाढ़ से प्रभावित इलाकों में गुरुद्वारों में भोजन तैयार कर पीड़ितों तक पहुंचाया जा रहा है.

फिरोजपुर में मूसलाधार बारिश और बाढ़ के कारण हालात बेकाबू हो गए हैं. 100 से अधिक गांवों में सतलुज और रावी नदी के उफान के चलते हजारों लोग बेबस हैं. भारत-पाक सीमा के गांव गट्टी राजोके, कालूवाला और टेंडीवाला में कई घर जमींदोज हो गए हैं. वहां लोग तंबुओं और गुरुद्वारों में रह रहे हैं.

सेना और प्रशासन की राहत कार्रवाई
बाढ़ के बीच एयरफोर्स और सेना के जवान देवदूत बनकर पहुंचे. MI-17 हेलिकॉप्टर और एनडीआरएफ की टीमों ने रावी नदी के किनारे फंसे लोगों का रेस्क्यू किया। सेना, BSF और स्थानीय प्रशासन राहत कार्यों में जुटे हैं. पूर्व सरपंच बलबीर सिंह के अनुसार, कुछ लोग राहत शिविरों तक पहुंचे, लेकिन सुविधा न मिलने के कारण वापस लौट गए. लोगों ने सरकार से मुआवज़ा और पुनर्वास की मांग की है.

इस बाढ़ में न सिर्फ इंसानों, बल्कि पशुओं की हालत भी खराब है. कई गांवों में पशुओं के लिए चारा उपलब्ध नहीं है. मौसम विभाग ने चेताया है कि बाढ़ और बारिश का खतरा अभी टला नहीं है. राज्य के लोग सावधानी बरतें और प्रशासन की हिदायतों का पालन करें.

मैदानी राज्यों और अन्य प्रभावित क्षेत्र
मैदानी राज्यों में भी हालात गंभीर हैं. बिहार के कई जिलों में बाढ़ के पानी ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. मुंगेर और बेगूसराय में तालाब जैसी स्थितियां बन गई हैं, ग्रामीणों को ट्रैक्टर के जरिए मदद दी जा रही है.

गुजरात के साबरकांठा और पंचमहल में भी भारी बारिश के कारण घर और सड़कें जलमग्न हैं. कई वाहन बह गए हैं और लोगों को बचाव के लिए रेस्क्यू करना पड़ा.

राजस्थान के टोंक में मासी नदी पर बने डंपर तेज बहाव में पलट गए, जिससे जान का जोखिम बढ़ गया. प्रशासन की चेतावनियों के बावजूद लोग जोखिम में जा रहे हैं. कुल मिलाकर, मौसम ने इस बार न पहाड़ों को बख्शा, न मैदानों को. बादल सब जगह जमकर बरस रहे हैं और बर्बादी की तस्वीरें पेश कर रहे हैं.

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