
नई दिल्ली । दिल्ली समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में रविवार को दुर्लभ पूर्ण चंद्र ग्रहण देखने के लिए लोगों की नजरें आसमान की ओर टिकी रहीं। रात 9:57 बजे जैसे धरती की छाया ने चंद्रमा को ढकना शुरू किया चंद्र ग्रहण की शुरुआत हो गई। दिल्ली में भी चंद्रमा बादलों के साथ लुका-छिपी खेलता नजर आया।
अलग-अलग रंगों में दिखा चांद
अंतरिक्ष में अद्भुत खगोलीय घटना चंद्र ग्रहण को लोगों ने उत्सुकता के साथ देखा। जैसे-जैसे रात गहरा रही थी, लोगों में उत्साह बढ़ रहा था। बादलों के बावजूद लोग पूर्ण चंद्रग्रहण को जिज्ञासा के साथ देख रहे थे।
ब्लड मून का अनोखा नजारा
दिल्ली में भी लोगों ने अपनी कोरी आंखों से इस अनोखे खगोलीय हेर-फेर को देखा। दिल्ली में चांद अलग-अलग रंग में नजर आया। लेकिन, लोगों को सबसे अधिक आकर्षित लाल रंग ने किया। दिल्ली में ब्लड मून का बेहतरीन नजारा दिखाई दिया।
नेहरू तारामंडल ने आयोजित किया कार्निवल
दिल्ली में लोग पहले से ही चंद्र ग्रहण को देखने के लिए तैयार दिखे। कोई परिवार के साथ तो कोई दोस्तों के साथ इसे देख रहा था। चंद्रग्रहण देखने के लिए प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) में स्थित नेहरू तारामंडल ने भव्य चंद्र कार्निवल का आयोजन किया।
नुक्कड़ नाटक के जरिए दी जानकारी
कार्यक्रम में छात्रों और युवाओं को नुक्कड़ नाटक के जरिए उन्हें खगोलीय घटना के बारे में बताया गया। इसका उद्देश्य खगोल विज्ञान के प्रति उत्साही लोगों, युवाओं और छात्रों को एक साथ लाकर चंद्रमा को गहरे लाल रंग में बदलते देखना था, जिसे ब्लड मून कहा गया।
दिल्ली में 5 घंटे, 27 मिनट तक दिखा ग्रहण
दिल्ली में ग्रहण रविवार रात को प्रारंभ 8 बजकर 58 मिनट पर शुरू हुआ। पूर्णता चांद 11 बजकर 41 मिनट पर रहा। वहीं, समाप्त रात 2 बजकर 25 मिनट में हुआ। ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे, 27 मिनट रही।
लाल नजर आया चांद
दिल्ली में ब्लड मून का नजारा अलग-अलग दिखा। कभी चांद पूरी तरह सुर्ख लाल तो कभी उसका कुछ हिस्सा लाल नजर आया।
चंद्रग्रहण में क्या होता है?
चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है। यह तब होती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। इससे चंद्रमा पर छाया पड़ती है। इस दौरान तीनों खगोलीय पिंड एक सीधी रेखा में होते हैं।
जब गहराने लगा सुर्ख रंग
दिल्ली में एक समय ऐसा आया जब जांच सुर्ख लाल रंग के साथ अंधेरे की आगोश में समाता नजर आया। हालांकि जैसे जैसे चंद्र ग्रहण समाप्त होता गया। चंद अपने चांदनी रंग में दिखने लगा।
जब धरती की छाया में समाया चांद
पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, रात 11:01 बजे पृथ्वी की छाया ने चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लिया। इससे चंद्रमा का रंग तांबे जैसा लाल हो गया और पूर्ण चंद्रग्रहण का दुर्लभ नजारा देखने को मिला।
नहीं होती विशेष उपकरण की आवश्यकता
खगोल विज्ञानियों की मानें तो सूर्य ग्रहण को देखने के लिए विशेष उपकरण की आवश्यकता होती है क्योंकि सूर्य की खतरनाक किरणों से आंखें प्रभावित होने का खतरा रहता है। हालांकि सूर्य ग्रहण के उलट पूर्ण चंद्र ग्रहण को देखने के लिए विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं होती।
अब 2028 में अगला पूर्ण चंद्रग्रहण
चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे उसकी छाया चंद्र सतह पर पड़ती है। अगला पूर्ण चंद्रग्रहण देश में 31 दिसंबर 2028 को दिखाई देगा। (पीटीआई-भाषा)
2022 के बाद सबसे लंबा पूर्ण चंद्र ग्रहण
पीटीआई के मुताबिक, रविवार को नजर आने वाला ग्रहण 2022 के बाद से भारत में दिखाई देने वाला सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण था।
एशिया, यूरोप, अफ्रीका और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में दिखा ग्रहण
रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्ण चंद्रग्रहण पूरे एशिया, यूरोप, अफ्रीका और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में दिखाई दिया।
2018 के बाद सभी हिस्सों से देखा गया ग्रहण
पीटीआई के मुताबिक, यह ग्रहण 27 जुलाई 2018 के बाद से देश के सभी हिस्सों से देखा जाने वाला पहला चंद्रग्रहण था।
क्यों लाल रंग में नजर आता है चांद?
जवाहरलाल नेहरू तारामंडल के पूर्व निदेशक बीएस शैलजा ने बताया कि चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल दिखाई देता है क्योंकि उस तक पहुंचने वाला सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल से परावर्तित होकर फैल जाता है। (पीटीआई-भाषा)
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ने दिखाया लाइव नजारा
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ने पूर्ण चंद्रग्रहण की प्रक्रिया को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सीधे प्रसारित किया। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ने बेंगलुरु, लद्दाख और तमिलनाडु में स्थित अपने परिसरों में लगीं दूरबीनों को चंद्रमा पर टिकाए रखा।
बादलों की लुकाछिपी के बीच नजारा
देश के कई भागों में बादलों से पटे आसमान ने खेल बिगाड़ दिया लेकिन दुनिया भर में खगोल विज्ञान के प्रति उत्साही लोगों की ओर से आयोजित लाइव स्ट्रीम ने लोगों की निराशा को दूर कर दिया।
चंद्र ग्रहण से जुड़े मिथ
चंद्र ग्रहण से कई मिथ भी जुड़े हैं। लोग नकारात्मक ऊर्जा के डर से भोजन, पानी और शारीरिक गतिविधियों से परहेज करते हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि ग्रहण गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के लिए हानिकारक होते हैं।
चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना
वहीं खगोलविदों का कहना है कि चंद्र ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना है। इसे भारतीय वैज्ञानिक आर्यभट्ट के समय से बहुत पहले ही समझ लिया गया था। खगोलविदों का साफ कहना है कि इससे लोगों या जानवरों को कोई खतरा नहीं होता है।
टेलीस्कोप से चंद्र ग्रहण का नजारा
दिल्ली में युवाओं और छात्रों को खगोलीय घटना के बारे में विस्तार से बताया गया। लोगों ने टेलीस्कोप के माध्यम से ग्रहण का सीधा दृश्य देखा। टेलीस्कोप से चंद्र ग्रहण देखने के लिए लोग बारी-बारी से अपना इंतजार कर रहे थे। इससे पृथ्वी की छाया से गुजरते हुए चंद्रमा का नजदीक से देखा।
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