
इन्दौर। चूहे के कुतरने के बाद मौत के मामले में देवास निवासी बैबी रिहाना के परिवार ने भी अस्पताल पर गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मीडिया में खबरें सुर्खियों में आने के बाद उन्होंने अस्पताल के डॉक्टर से पूछा था तो उन्हें कहा गया कि चूहों की शिकार में उनकी बच्ची शामिल नहीं है, लेकिन अंतिम संस्कार के लिए नहलाने की प्रक्रिया के दौरान बच्ची की हथेली लहूलुहान दिखी। किस्मत का न्याय समझकर चुप बैठ गए थे पर धार की बच्ची की दुर्दशा देख दिल दहल गया है। किसी और के साथ यह अन्याय ना हो, इसलिए अपनी बच्ची को न्याय दिलाने बैबी रिहाना के माता-पिता आज अस्पताल पहुंचेंगे।
चूहा काटने की घटना में एमवाय प्रबंधन ने सिर्फ आयुक्त, कलेक्टर, कमिश्नर को ही गुमराह नहीं किया गया, बल्कि दोनों परिजन से भी भयावह वास्तविकता छुपाई गई। धार के बच्चे की दुर्दशा देख देवास के बैबी रिहाना के माता-पिता का भी दिल दहल गया है और उन्होंने खुलासा किया कि उनकी बच्ची चूहा काटने वालों में शामिल नहीं है। यह दिलासा दिलाई गई थी, लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली। बैबी रिहाना के मामा अजहर काजी ने बताया कि बेटी को चूहे ने काट लिया है, ऐसी कोई जानकारी हमें एमवाय प्रबंधन ने नहीं दी थी। घटना के दो दिन बाद डाक्टरों ने कहा कि बच्ची ठीक से सांस नहीं ले पा रही है। फिर अचानक डाक्टरों ने मौत होने की जानकारी देकर शव लपेटने कपड़ा मांगा। हमने बच्ची का कंबल दिया। उन्होंने उसमें लपेटकर बच्ची का शव दे दिया। सुपर्दे खाक करने के पहले घटना का खुलासा हुआ।
अब न्याय जरूरी है
परिजन के अनुसार हमने अपनी बच्ची को खो दिया है। यह सोचकर आवाज नहीं उठाई थी, लेकिन आगे कोई और बच्चा इसका शिकार ना हो, इसके लिए आज बच्ची को न्याय दिलाने के लिए एमवाय अस्पताल जा रहे हैं। अधिकारियों से पूछेंगे कि हमसे झूठ क्यों बोला।
तीन अस्पताल भटके, लेकिन नहीं बची जान
हमने जिन्हें भगवान का दर्जा दिया, उन्होंने हमें धोखा दिया, कहते हुए अजहर काजी ने बताया कि बच्ची का जन्म बागली के सरकारी अस्पताल में हुआ था। डिलेवरी के बाद ही उसकी स्थिति गंभीर हो गई थी। डॉक्टरों ने जांच की तो पाया कि उसे मल त्यागने में परेशानी हो रही है। इसके बाद हम उसे तीन अस्पताल ले गए। एमटीएच अस्पताल में भी उसका ठीक तरीके से इलाज नहीं हुआ तो एमवाय में भर्ती कराया। हम बाहर से बच्ची को देख लेते थे। सर्जरी के बाद वह रिकवर कर रही थी। उसे वेंटिलेटर से हटा दिया था। 2 सितंबर को डॉक्टरों ने बताया कि उसे सांस लेने में समस्या हो रही है। उसे फिर वेंटिलेटर पर रखा। अगले ही दिन हमें बताया कि उसकी मौत हो गई है। पिछले 15 दिन से जिंदगी और मौत से लड़ रही थी पर चूहों के काटने से मौत खौपनाक है।
5 लाख जिला प्रशासन और रोगी कल्याण से दिलवा दिए
जिन प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप अस्पताल और कॉलेज में डॉक्टर डीन और अधीक्षक को नागवार गुजरता था। पूर्व में भी शासन स्तर पर इसका बड़ा विरोध किया जा चुका है। अब इतने बड़े कांड को संभालने के लिए और परिजन व जयस के हस्तक्षेप करने के बाद एडीएम, एसडीएम तक को लगाया गया। अपनी गलती छुपाने के लिए जिला प्रशासन को आगे करने के बाद मुआवजे की राशि रेडक्रॉस और जिला रोगी कल्याण कोष से दिलवा दी गई, लेकिन एमवाय प्रबंधन के पास अपनी ही गलती का मुआवजा देने के लिए कोई फंड नजर नहीं आया। न ही जिम्मेदारों को कोई आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया। आज जयस फिर न्याय का मुद्दा उठाएगा।
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