मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) की अगुवाई वाली महाराष्ट्र की NDA सरकार नई टेंशन में उलझ गई है। अभी हाल ही में मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल और मराठों को शांत करने के लिए जो सरकारी प्रस्ताव (GR) जारी किया गया है, उसका उनकी सरकार के मंत्री समेत विपक्षी दलों के ओबीसी नेताओं ने भी विरोध किया है। इन बीसी नेताओं ने अब GR के खिलाफ अदालत जाने का फैसला किया है। दरअसल, सरकार ने GR जारी कहा था कि पात्र मराठों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। कुनबी जाति ओबीसी समुदाय के तहत आता है।
राज्य सरकार के इस फैसले का फडणवीस सरकार में ही मंत्री और ओबीसी नेता छगन भुजबल ने विरोध किया है और कहा है कि सरकारी आदेश से ओबीसी के मौजूदा आरक्षण पर असर पड़ेगा। भुजबल उप मुख्यमंत्री अजित पवार की पार्टी NCP के वरिष्ठ नेता हैं और राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री हैं।
OBC समुदाय लामबंद, आंदोलन तेज
हैदराबाद गजट लागू करने और GR जारी करने के सरकार के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र में ओबीसी समुदाय के बीच तेजी से असंतोष उभरा है। सरकारी आदेश के विरोध में कई लोग भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं और आंदोलन शुरू कर दिया है। ओबीसी कैटगरी में 374 जातियाँ हैं और सभी अपने-अपने तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। इस बीच, ओबीसी नेता छगन भुजबल ने कहा है कि वो सरकारी आदेश के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट जाएंगे। भुजबल ने कहा, “हम समता परिषद के माध्यम से अपना रास्ता अपना रहे हैं।”
दुर्लभ सियासी गठजोड़
दूसरी तरफ, इसी मुद्दे पर एक दुर्लभ सियासी गठजोड़ भी उभरा है। दलगत नीतियों से ऊपर उठकर कई दलों के ओबीसी नेताओं ने इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाई है। कांग्रेस के ओबीसी नेता विजय वडेट्टीवार के नेतृत्व में कई ओबीसी नेताओं ने राज्य सरकार के इस कदम के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए मुंबई में सोमवार को बैठक की। वडेट्टीवार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उस टिप्पणी की आलोचना की, जिसमें फडणवीस ने कहा था कि मराठों को ओबीसी का दर्जा देने से मौजूदा ओबीसी समुदाय के आरक्षण पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वडेट्टीवार ने कहा, “हमारी बैठक पार्टी लाइन से ऊपर है। मुख्यमंत्री को जो कहना है कहने दीजिए। इस सरकारी आदेश से ओबीसी समुदाय को नुकसान ही होगा।”
भुजबल को समझाने की कोशिश
इस बीच, मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस मुद्दे पर अपनी ही सरकार के मंत्री भुजबल को समझाने की कोशिश की है लेकिन सूत्रों के अनुसार, भुजबल ने अगले दो दिनों के अंदर सरकारी आदेश के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। दूसरी तरफ, मराठा संगठनों ने भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों में एक कैविएट दायर कर अनुरोध किया है कि कोई भी आदेश जारी करने से पहले उनकी बात सुनी जाए।
पार्टी लाइन से ऊपर उठकर वडेट्टीवार ने कहा कि वे मंत्री भुजबल का समर्थन करते हैं। वडेट्टीवार ने कहा, “सरकारी आदेश से ओबीसी समुदाय को नुकसान होगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि वह कुनबी प्रमाणपत्र रखने वाले मराठों के ओबीसी कैटगरी में आने के का विरोध नहीं कर रहे लेकिन सरकार के नए आदेश से सभी मराठा ओबीसी कैटगरी में आ जाएँगे। इस बीच, जरांगे पाटिल ने चेतावनी दी है कि अगर वे (ओबीसी) इस सरकारी आदेश को चुनौती देते हैं, तो हम भी राज्य सरकार द्वारा 1994 में जारी उस सरकारी आदेश को चुनौती देने के लिए एक याचिका दायर करेंगे जिसके आधार पर कई ओबीसी को आरक्षण मिल रहा है।
शिंदे बोले- GR से नहीं पड़ेगा असर
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र देने के संबंध में जारी शासनादेश (जीआर) को लेकर उठे विवाद के बीच सोमवार को दावा किया कि इस कदम से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि राज्य मंत्री छगन भुजबल को सूचित किया गया था कि जीआर ओबीसी समुदायों के हितों के लिए हानिकारक नहीं है।
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