
सीएम हेल्पलाइन पर ढेरों शिकायतों के चलते वन मंत्रालय ने साफ कहा
इंदौर। सीएम हेल्पलाइन (CM Helpline) पर बंदर (monkeys) के काटने पर मुआवजे के लिए बार-बार शिकायत करने वालों के लिए सख्त फरमान जारी करते हुए शासन ने बिल्कुल साफ कर दिया है कि लाल बन्दर (red monkeys) के काटने, नुकसान पहुंचाने या फिर इनके हमले से शारीरक क्षति सहित मृत्यु हो जाने के बावजूद पीडि़त को कोई भी मुआवजा (compensation) नहीं दिया जाएगा। यानी मुआवजा चाहिए तो अब पीडि़त को यह साबित करना होगा कि उसे वन्यजीव काले बन्दर ने ही काटा है, क्योकि वन मंत्रालय लाल बंदरों को वन्यजीव ही नहीं मानता ।
वन विभाग इंदौर के अधिकारियों ने बताया कि लाल बंदरों द्वारा काटने या सताए जाने पर पीडि़त आए दिन मुआवजे या आर्थिक सहायता के लिए न सिर्फ आवेदन करते आ रहे हैं, बल्कि मुआवजा के लिए सीएम हेल्पलाइन पर सम्बन्धित विभाग या अधिकारियों के खिलाफ बार-बार शिकायत करते आ रहे हैं, जबकि वन मंत्रालय के नियम अनुसार रेड मंकी (लाल बन्दर) पीडि़त व्यक्ति किसी भी तरह आर्थिक सहायता या मुआवजा राशि के लिए योग्य ही नहीं है।
पीडि़तों को इसलिए नहीं मिलेगा मुआवजा
वन विभाग इंदौर के महू फारेस्ट रेंज के एसडीओ कैलाश जोशी के अनुसार वन मंत्रालय लाल बंदरों की वन्यजीव होने की मान्यता खत्म कर चुका है। सिर्फ काले बंदरों से पीडि़तों को ही इलाज के लिए सहायता राशि या मृत होने पर मुआवजा दिया जाएगा, क्योंकि गाइड लाइन के हिसाब से वन मंत्रालय ने सिर्फ काले बंदरों को ही वन्यजीव की कैटेगरी यानी श्रेणी में रखा है। इस वजह से लाल बन्दर वाले पीडि़तों को कोई भी किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं मिलेगी।
अब बन्दर पीडि़तों का रिकार्ड रखा जाएगा
हुकुमचंद पॉली क्लिनिक के सीनियर डॉक्टर आशुतोष शर्मा ने बताया कि वन्यजीव पीडि़तों को मुआवजा मिल सके, इसलिए अब लाल बन्दर और काले बन्दर के पीडि़तों का अलग-अलग रिकार्ड रखा जाएगा। कल 15 सितंबर से हुकुमचंद पॉली क्लिनिक में यह व्यवस्था शुरू कर दी जाएगी। डाक्टर शर्मा ने अपील की है कि सम्भव हो तो काटने वाले काले बन्दर का पीडि़त मोबाइल से फोटो खींच ले।
मृतक को 8 लाख रुपए मुआवजा
एसडीओ जोशी के अनुसार काले बन्दर सहित किसी भी वन्यजीव के हमले की वजह से मृतक के परिजनों को 8 लाख रुपए का मुआवजा मिलता है। यदि पीडि़त वन्यजीव से सिर्फ पीडि़त है तो उसके इलाज का न सिर्फ पूरा खर्चा वन विभाग उठाता है, बल्कि इलाज के दौरान उसको कलेक्ट्रेट रेट के अनुसार श्रमिक राशि का भी भुगतान किया जाता है।
पिछले आठ माह में बंदरों ने 367 को काटा
एन्टी रैबीज वैक्सीन या एंटी इंफेक्शन इंजेक्शन लगाने वाले हुकुमचंद पॉली क्लिनिक के रिकार्ड के अनुसार इंदौर जिले में बंदर इस साल अब तक 367 लोगों को काट चुके हैं, मगर कौन से बन्दर ने काटा है, अभी तक यह जानकारी अस्पताल के रिकार्ड में नही है।
वन विभाग के रेस्क्यू ऑपरेशन पर भी पाबंदी
वन मंत्रालय से जारी दिशा-निर्देश के अनुसार वन विभाग की टीम लाल बंदरों का रेस्क्यू ऑपरेशन करने के लिए बाध्य नहीं होगी। मतलब यदि लाल बंदर किसी गांव, शहर, बस्ती या फिर किसी पिकनिक स्पॉट पर उत्पात मचाते हैं तो उनका रेस्क्यू ऑपरेशन अब स्थानीय निकाय यानी पंचायत या नगर पालिका या नगर निगम को करना होगा, क्योंकि वन विभाग सिर्फ वन्यजीवों का ही रेस्क्यू करता है।
माह पीडि़त
अगस्त 61
जुलाई 90
जून 64
मई 36
अप्रैल 23
मार्च 30
फरवरी 36
जनवरी 27
कुल 367
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