
इंदौर। बीआरटीएस कॉरिडोर को तोडऩे का मामला अभी भी अधर में लटका हुआ है। इसके लिए जारी किए गए टेंडर को अभी अधिकारियों ने मंजूरी दी ही नहीं है और नगर निगम के नेता ठेकेदार के साथ मीटिंग कर तोडऩे की योजना बनाने लगे हैं।
इस कॉरिडोर को तोडऩे के लिए पिछली बार बुलवाए गए टेंडर में नगर निगम के पास ऑफर आ गया। निगम इस कॉरिडोर को तोडऩे से निकलने वाले मलबे और अटाले के एवज में 3.5 करोड़ रुपए चाहता है, जबकि ठेकेदार द्वारा 1.6 करोड़ रुपए में इस कार्य को करने में रुचि का प्रदर्शन किया गया है। यह टेंडर खुलने के बाद से इसे मंजूरी देने की कोशिश चल रही है।
निगम के अधिकारियों द्वारा नीतिगत रूप से यह तो तय कर लिया गया है कि इस टेंडर को मंजूरी महापौर परिषद से ही दिलवाई जाएगी। टेंडर की फाइल को मंजूरी देकर अधिकारियों को महापौर परिषद की बैठक के लिए भेजना है। निगम के पूर्व आयुक्त शिवम वर्मा तबादला होने और इंदौर से रिलीव होने से पहले लगातार यह कहते रहे कि वह इस टेंडर को मंजूरी देकर महापौर परिषद में भेज देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। उनका तबादला हो गया और वह रिलीव होकर चले गए तथा बीआरटीएस को तोडऩे की फाइल ऐसी की ऐसी लंबित रह गई।
अब नए आयुक्त दिलीपकुमार यादव के पास भी निगम के अधिकारी इस फाइल पर मंजूरी के हस्ताक्षर करवाने और उसे महापौर परिषद को भेजने के लिए लेकर गए थे लेकिन उन्होंने अध्ययन के लिए फाइल को रख लिया है। इस तरह यह फाइल अभी पेंडिंग हो गई है। एक तरफ तो अधिकारी इस फाइल को मंजूर करने की अनुशंसा करने से कतरा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ निगम जनकार्य समिति के प्रभारी राजेंद्र राठौर ने कल इस ठेकेदार की बैठक ले ली। इस बैठक में इस बात की योजना बना ली गई कि किस तरह से इस कॉरिडोर को तोडऩे का काम किया जाएगा। उन्होंने यह भी निश्चित कर लिया कि जिस दिन महापौर परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलेगी उसी दिन तोडफ़ोड़ भी शुरू कर दी जाएगी।
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