
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India- RBI) इसी साल एक और बार रेपो रेट (Repo Rate) में कटौती कर सकता है। गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) के चीफ इंडिया इकनॉमिस्ट शांतनु सेनगुप्ता के मुताबिक, यह कटौती दिसंबर में हो सकती है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में है और खाद्य पदार्थों की कीमतें कम हुई हैं, जिससे RBI के पास और रियायत देने का मौका है।
ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद
गोल्डमैन सैक्स के मुख्य भारत अर्थशास्त्री शांतनु सेनगुप्ता ने मिंट को एक इंटरव्यू में बताया कि इस साल के अंत तक मुद्रास्फीति लगभग 3% और 2026 की शुरुआत में 4% के आसपास रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा, “खाद्य महंगाई कम होने और जीएसटी में कटौती का असर दिखने से RBI के पास नीतिगत रुख न्यूट्रल रखते हुए भी दरें घटाने की गुंजाइश है।”
ध्यान रहे, RBI ने वित्तीय वर्ष 2026 की शुरुआत में अप्रैल में 25 आधार अंक और जून में 50 आधार अंक की कटौती कर रेपो रेट को 5.5% कर दिया था, हालांकि अगस्त की बैठक में इसे यही रखा गया।
मध्यम अवधि में 6.5-7% की वृद्धि दर का अनुमान
सेनगुप्ता ने कहा कि मजबूत उपभोग और कर सुधारों की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था मध्यम अवधि में 6.5% से 7% की स्थिर दर से बढ़ने की उम्मीद है, हालांकि बाहरी जोखिम अब भी बने हुए हैं। उन्होंने कहा, “हाल में आयकर और जीएसटी दरों में कटौती जैसे नीतिगत बदलावों ने उपभोग बढ़ाने में मदद की है। लेकिन दूसरी ओर, बाहरी जोखिम, खासकर टैरिफ (आयात शुल्क) से जुड़ी अनिश्चितताएं अब भी हैं।”
निवेश से विकास दर बढ़ सकती है
सेनगुप्ता ने कहा कि अगर निवेश का चक्र मजबूत होता है, तो भारत की विकास क्षमता और बढ़ सकती है। उन्होंने कहा, “अगर निवेश दर पहले के शिखर स्तर तक पहुंचती है, खासकर निजी कैपेक्स के जरिए, तो विकास दर में 0.5 प्रतिशत अंक का इजाफा हो सकता है।” हालांकि, बाहरी चुनौतियों, भू-राजनीतिक जोखिमों और टैरिफ को लेकर अनिश्चितता को सबसे बड़ी चुनौती बताया। RBI ने वित्त वर्ष 2026 के लिए विकास दर 6.5% रहने का अनुमान जताया है।
निवेश से विकास दर बढ़ सकती है
सेनगुप्ता ने कहा कि अगर निवेश का चक्र मजबूत होता है, तो भारत की विकास क्षमता और बढ़ सकती है। उन्होंने कहा, “अगर निवेश दर पहले के शिखर स्तर तक पहुंचती है, खासकर निजी कैपेक्स (पूंजीगत व्यय) के जरिए, तो विकास दर में 0.5 प्रतिशत अंक का इजाफा हो सकता है।” हालांकि, बाहरी चुनौतियों, भू-राजनीतिक जोखिमों और टैरिफ को लेकर अनिश्चितता को सबसे बड़ी चुनौती बताया। RBI ने वित्त वर्ष 2026 के लिए विकास दर 6.5% रहने का अनुमान जताया है।
सरकारी खर्च बढ़ाने की ज्यादा गुंजाइश नहीं
सेनगुप्ता ने कहा कि केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय जीडीपी के अनुपात में अपने शिखर (FY24 में 3.2%) पर पहुंच चुका है और राजकोषीय समेकन की वजह से इसे और बढ़ाने की ज्यादा गुंजाइश नहीं है। निजी कैपेक्स के मामले में, कॉर्पोरेट और बैंकों का बैलेंस शीट मजबूत है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितता की वजह से निवेश रुका हुआ है। उन्होंने कहा कि नीतिगत या टैरिफ को लेकर अनिश्चितता निवेश की विकास दर को लगभग 1 प्रतिशत अंक तक कम कर सकती है।
उपभोग मांग पर आशावादी
घरेलू मांग को लेकर सेनगुप्ता आशावादी हैं। उन्होंने कहा कि आयकर में कटौती से मांग को सहारा मिला है। अच्छी फसल से ग्रामीण आय बढ़ी है और कृषि मजदूरी में 4% से ज्यादा की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, जीएसटी में कटौती से उपभोक्ता कीमतों और महंगाई दर में सीधी कमी आई है, जिससे उपभोग व्यापक स्तर पर बढ़ा है।
जीएसटी सुधार एक बड़ा सकारात्मक कदम
सेनगुप्ता ने कर संरचना में सुधार को अहम बताया। उन्होंने कहा कि कई स्लैब वाली जीएसटी प्रणाली से दो स्लैब वाली प्रणाली में बदलना एक बड़ा सकारात्मक कदम है। इससे व्यवसाय करने में आसानी होगी और टैक्स सिस्टम में स्थिरता बिजनेस के लिए फायदेमंद होगी।
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