
नई दिल्ली । बिहार के बाद समूचे भारत में SIR यानी मतदाता सूची (Voter List) के विशेष गहन पुनरीक्षण की तैयारी कर्नाटक में भी है। खबर है कि इसे लेकर राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) स्तर पर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। हालांकि, कहा जा रहा है कि भारत निर्वाचन आयोग की तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद ही प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि ECI 2025 के अंत तक देशभर में एसआईआर शुरू कर सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी वी अंबुकुमार ने कहा है कि एसआईआर की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग से औपचारिक निर्देश मिलने के बाद ही राज्य में प्रक्रिया शुरू की जाएगी। कर्नाटक में 2002 की मतदाता सूची के आधार पर रिवीजन होगा। इस दौरान सूची में बाद में शामिल हुए लोगों से दस्तावेज मांगे जाएंगे।
क्या दस्तावेज लगेंगे
इस दौरान दस्तावेज आयुवर्ग से हिसाब से होंगे। 1987 से पहले जन्म लेने वालों को 12 में से एक दस्तावेज पेश करना होगा, जहां आधार कार्ड को सिर्फ आईडी प्रूफ माना जाएगा। 1987 से 2004 के बीच पैदा हुए लोगों को दो दस्तावेज पेश करने होंगे। इनमें एक खुद की जन्मतिथि और एक माता-पिता की होगी। अगर पैरेंट में से कोई एक विदेशी नागरिक है, तो पासपोर्ट और वीजा डिटेल देनी होगी।
दिल्ली में भी तैयारी शुरू
राजधानी में निर्वाचन आयोग ने प्रक्रिया के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं और अब 2002 की मतदाता सूची में जिनके नाम दर्ज नहीं है उन्हें अपने पहचान पत्र प्रस्तुत करने होंगे। हालांकि एसआईआर शुरू होने की तारीखों की घोषणा बाद में की जाएगी।
दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने भी इस प्रक्रिया की तैयारियां शुरू कर दी हैं। बयान में कहा गया कि सभी विधानसभा क्षेत्रों में बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) नियुक्त किए गए हैं।
इसमें कहा गया है कि सभी संबंधित अधिकारियों – जिला निर्वाचन अधिकारियों, निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों, सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों और बीएलओ – को प्रशिक्षण दिया गया है। सीईओ कार्यालय ने लोगों से अपने और अपने माता-पिता के नामों की पुष्टि के लिए 2002 की मतदाता सूची देखने का अनुरोध किया है।
बिहार में 2003 के बाद पहली बार मतदाता सूची की एसआईआर हुई जिसने एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य लोगों को उनके मताधिकार से वंचित करना है और निर्वाचन आयोग का कहना है कि एसआईआर का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी पात्र नागरिकों के नाम मतदाता सूची में शामिल हों और कोई भी अपात्र मतदाता इसमें शामिल न हो।
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