
इंदौर। सांवेर (Sanwer) क्षेत्र के रिंगनोदिया (Ringnodia) रोड पर बाणेश्वरी ट्रेवल्स (Baneshwari Travels) की बस की चपेट में आकर मौत की नींद सोने वाले एक ही परिवार के चारों सदस्यों का कल उनके पैतृक ग्राम खरगोन (Khargone) जिले के सनावद (Sanawad) में अंतिम संस्कार कर दिया गया। हजारों नम आंखों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। माता-पिता को दोनों बच्चे कंधा भी नहीं दे सके। उनकी भी इस हादसे में जान गई। भाई के बेटे ने मुखाग्नि दी। उसकी मां की भी दो दिन पहले ही भोपाल में मौत हो गई थी। उसी की अंतिम यात्रा में शामिल होकर महेंद्र सोलंकी का परिवार इंदौर लौटा था और रास्ते में सांवेर में बड़े भाई के यहां रात रुक गया था। जिस बच्चे की जान गई उसकी कल परीक्षा थी।
मिली जानकारी के अनुसार परसों सांवेर क्षेत्र के रिंगनोदिया रोड पर मोटरसाइकिल से इंदौर आ रहे मूसाखेड़ी निवासी 45 वर्षीय महेंद्र सोलंकी, उसकी पत्नी 40 वर्षीय जयश्री सोलंकी, 15 वर्षीय बेटे जिगर एवं 12 वर्षीय तेजस्वी को बाणेश्वरी ट्रेवल्स की बस ने टक्कर मारकर बुरी तरह कुचल दिया था, जिससे सभी की मौके पर मौत हो गई थी। इस घटना में शामिल ड्राइवर और क्लीनर के खिलाफ पुलिस सांवेर ने मामूली धारा में प्रकरण दर्ज किया है। अभी ड्राइवर और परिचालक दोनों फरार हैं। मृतक के बड़े भाई बाबूलाल सोलंकी का परिवार धरमपुरी स्थित सांई विहार कॉलोनी में रहता है। महेंद्र का परिवार भोपाल में अपनी भाभी किरण सोलंकी की अंतिम यात्रा में शामिल होने गया था और लौटते वक्त बड़े भाई के यहां रात रुक गया था। परिवार वालों ने बताया कि सभी ने महेंद्र को रुकने के लिए कहा था, लेकिन उसका कहना था कि बड़े बेटे जिगर, जो दसवीं कक्षा में पड़ता था, की अर्धवार्षिक परीक्षा थी, इसलिए पूरा परिवार नहीं रुका और रास्ते में उन्हें काल ने घेर लिया। महेंद्र की बूढ़ी मां सुमनबाई रो-रोकर कहती है रुक जाता तो शायद यह घटना नहीं होती।
धरमपुरी में बन रहा था मकान
हादसे में जान गंवाने वाले महेंद्र सोलंकी के बारे में बताया जा रहा है कि देवगुराडिय़ा के पास उसकी चाय की दुकान है। उसी से परिवार का जीवन-यापन चल रहा था। उसने कुछ दिन पहले ही धरमपुरी में बना रहे मकान की छत डाली थी, जो अभी खुली भी नहीं थी और पूरा परिवार मौत की नींद सो गया। बड़े भाई बाबूलाल की बेटी पूजा ने बताया कि महेंद्र अंकल ने अपनी छोटी बहन सुनीता गौर नूतन नगर पीथमपुर के जेवरात बैंक में गिरवर रखकर 6 लाख का लोन लिया था।
जिगर की थी कल परीक्षा
सडक़ दुर्घटना में जान गंवाने वाले 15 वर्षीय जिगर सोलंकी के बारे में बताया जा रहा है कि वह पढऩे-लिखने में बहुत होशियार था। वह पापा से अकसर कहता था कि पढ़-लिखकर अफसर बन जाऊंगा तो सारी गरीबी दूर हो जाएगी। कल उसकी दसवीं कक्षा की परीक्षा थी। इसके पहले ही वह दुनिया से उठ गया। छोटे भाई तेजस्वी से वो बहुत लाड़
करता था।
रफ्तार पर लगाम नहीं
एक ही परिवार के चार लोगों को मौत के घाट उतरने वाली ट्रेवल्स की बसों की रफ्तार में कोई कमी नहीं आई है। बड़ी घटना से भी सबक नहीं लिया है। सवारी के चक्कर में ड्राइवर इस तेज गति गाड़ी से चलाते हैं कि उन्हें सडक़ से गुजरते लोग दिखाई नहीं देते। सुबह के वक्त तो मरीमाता से उज्जैन तक के मार्ग पर गाड़ी इतनी तेजी से दौड़ती हैं कि पलक झपकते ही घटना हो जाती है।
चारों का साथ हुआ अंतिम संस्कार
चारों शवों का पोस्टमार्टम होने के बाद उन्हें महेंद्र सोलंकी के पैतृक गांव गोल करौली सनावद ले जाया गया, जहां सभी का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। शवयात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण और परिजन शामिल हुए। मुखाग्नि भतीजे नानू सोलंकी ने दी।
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