
नई दिल्ली। भारत (India) ऐसा देश है, जहां की 80 करोड़ से अधिक आबादी मुफ्त अनाज (Free grains) लेती है, लेकिन यहीं पर दुनिया के अरबपतियों (Billionaires) की तीसरी सबसे बड़ी आबादी रहती है। भारत की संपदा का अध्ययन दिलचस्प है। इससे प्रेरणा लेने और हर स्तर पर धन प्रबंधन सुधारने की जरूरत है, ताकि अमीरों से पूरे देश को लाभ हो। पेश है अमीरों की दुनिया में झांकती एक खास रिपोर्ट…
मर्सिडीज-बेंज हुरुन इंडिया वेल्थ रिपोर्ट 2025 के अनुसार, भारत के करोड़पति परिवारों की संख्या में लगभग 200 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि हुई है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अब 8,71,700 करोड़पति परिवार हैं। जो 2021 के 4,58,000 के आंकड़े से लगभग दोगुना हैं।
2017 से 2025 के बीच मिलियन-डॉलर वाले परिवारों की संख्या में 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई। निफ्टी 50 सूचकांक 2021 और 2025 के बीच 70 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि इसी अवधि में सोने की कीमतें लगभग दोगुनी हो गई हैं। भारत में शेयर, रियल एस्टेट और सोना पसंदीदा निवेश हैं। अब यूपीआई एप्स ने विलासिता लेनदेन में कार्ड व नकदी को पीछे छोड़ दिया है।
बर्नस्टीन ने भारत के शीर्ष एक प्रतिशत अति-धनवान परिवारों को तीन श्रेणियों में बांटा है। सबसे ऊपर शीर्ष के सर्वोच्च आय वाले व्यक्ति हैं, इसमें देश के लगभग 35,000 परिवार आते हैं, जिनकी औसत आय 48 लाख डॉलर और औसतन संपत्ति 540 लाख डॉलर है। न्यूनतम 120 लाख डॉलर की संपत्ति वाले परिवारों को शीर्ष के सर्वोच्च आय वाले व्यक्ति श्रेणी में माना जाता है। यहां एक डॉलर की कीमत 83 रुपये मानी गई है। कुल मिलाकर, इन परिवारों के पास 20 खरब रुपये की संपत्ति है।
इनके ठीक नीचे उच्च-नेटवर्थ संपत्ति वाले व्यक्तियों के परिवार हैं, जिनकी संख्या लगभग 5,00,000 है। इनकी औसत वार्षिक आय 7,00,000 डॉलर और शुद्ध संपत्ति 30 से 120 लाख डॉलर (25-100 करोड़ रुपये) के बीच है। इस दायरे का और विस्तार करने पर समृद्ध परिवार श्रेणी आती है। इनमें लगभग 25 लाख परिवार हैं, जिनकी औसत वार्षिक आय 2,00,000 डॉलर (1.6 करोड़ रुपये) और शुद्ध संपत्ति 10 से 30 लाख डॉलर (8.3-25 करोड़ रुपये) के बीच है। ये तीन श्रेणियां भारत के शीर्ष एक प्रतिशत परिवारों का निर्माण करती हैं, जो देश के आर्थिक परिदृश्य में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं।
इस श्रेणी के नीचे बड़े पैमाने पर ऐसे संपन्न परिवार आते हैं, जिनकी संख्या 60 लाख या देश की कुल आबादी में दो प्रतिशत है। इनकी औसत वार्षिक आय 33,000 डॉलर (लगभग 28 लाख रुपये) और शुद्ध संपत्ति 2 लाख से 10 लाख डॉलर (1.6-8 करोड़ रुपये) के बीच है। देश के शेष 97 प्रतिशत या 31.5 करोड़ ऐसे परिवार आते हैं, जो उम्मीद पर जी रहे हैं। इनकी औसत वार्षिक आय केवल 5,000 डॉलर (4,00,000 रुपये) है।
मुंबई में सबसे ज्यादा अमीर
महाराष्ट्र 1,78,600 करोड़पति परिवारों के साथ शीर्ष पर है, जिसमें मुंबई के 1,42,000 परिवार सबसे आगे हैं। राज्य में 2021 के बाद सेे करोड़पति परिवारों में 194 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। दिल्ली और तमिलनाडु में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। नई दिल्ली 68,200 और बेंगलुरु 31,600 परिवारों के साथ दूसरे स्थान पर है।
भारत के टॉप- 10 राज्यों में देश के 79 प्रतिशत करोड़पति रहते हैं। विश्व के सबसे धनी शहरों की रिपोर्ट 2025 के अनुसार, पिछले एक दशक की बात करें, तो करोड़पतियों में 120 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बेंगलुरु दुनिया में तीसरे स्थान पर है। छोटे शहरों का भी रूप बदल रहा है। अमीरों के उत्तरदायित्व की बात करें, तो 30 प्रतिशत अमीर कर भुगतान को महत्वपूर्ण मानते हैं, इसके बाद पर्यावरण (20 प्रतिशत) और दान (17 प्रतिशत) का स्थान आता है।
विलासिता की चकाचौंध
विडंबना है, भारत में प्रति व्यक्ति आय सालाना 3,000 डॉलर भी नहीं है, लेकिन इसी देश के शीर्ष एक प्रतिशत बेहद अमीर लोगों के पास विलासिता की ऐसी चकाचौंध है कि देखकर दुनिया में अपने समय का सबसे बड़ा ऐय्याश फ्रांस का सम्राट लुई 14वां भी शरमा जाए। भारत में 10 में से 8 निवेशक निवेश और धन प्रबंधन संबंधी निर्णय विशेषज्ञों की राय से ही लेते हैं। 75 प्रतिशत निवेशक ऐसी सलाह पसंद करते हैं, जो सीधे उनकी परिस्थितियों से संबंधित हों। धन प्रबंधक विशेषज्ञों की भारत में भूमिका समय के साथ बढ़ती जाएगी।
फोर्ब्स की 2021 की सबसे अमीर भारतीयों की सूची में शामिल एक परिवार की संपत्ति का अध्ययन किया गया और अनुमान लगाया गया कि उसकी कुल घोषित आय, उसकी संपत्ति का मात्र 1/12वां हिस्सा है। अमेरिका और चीन में यहां से ज्यादा पारदर्शिता है।
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