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इंदौर: विदेश जाने का बढ़ा क्रेज, हर महीने बन रहे 5 हजार से ज्यादा पासपोर्ट

September 24, 2025

इसमें से 60 फीसदी 30 साल से कम के युवा

इंदौर, नासेरा मंसूरी।
विदेश (abroad) जाने का क्रेज (craze) लोगों में इस कदर है कि हर महीने इंदौर (Indore) से हजारों की संख्या में पासपोर्ट (passports) बन रहे हैं। इसमें 30 साल से कम उम्र के युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। हर दिन सुबह से लेकर शाम तक पासपोर्ट सेवा केंद्र के बाहर आवेदकों की भीड़ देखी जा सकती है।


फिलहाल इंदौर के पासपोर्ट सेवा केंद्र का संचालन गोल्ड प्लाजा, निपानिया क्षेत्र में हो रहा है। सुबह 9.30 से शाम 4.30 बजे तक यहां विदेश में शिक्षा के लिए, व्यवसाय के लिए व बाहर घूमने के लिए पासपोर्ट बनाने के लिए आवेदकों की भीड़ देखी जा सकती है, जिसमें एक दिन के बच्चे से लेकर 80 साल तक के बुजुर्ग तक शामिल हैं। हालांकि आंकड़े बताते हैं कि इंदौर से बनने वाले पासपोर्ट की कुल संख्या का करीब 60 फीसदी आंकड़ा 30 साल से कम उम्र के युवाओं का है। बचे 40 फीसदी में सभी शामिल हैं। भोपाल से मिली जानकारी के मुताबिक इंदौर पासपोर्ट सेवा केंद्र से हर महीने बनने वाले पासपोर्ट की संख्या अनुमानित 5400 है, जो अन्य जिलों के मुताबिक काफी ज्यादा है, जबकि पूरे प्रदेश के आंकड़ों की बात करें तो ये अनुमानित 14 हजार के करीब है।

पासपोर्ट वैन भी दे रही सेवा
मध्यप्रदेश में मोबाइल पासपोर्ट वैन सेवा भी विदेश मंत्रालय ने हाल ही में शुरू की है, जो फिलहाल भोपाल में लोगों तक घर-घर जाकर पासपोर्ट बनाने की सुविधा दे रही है। यह वैन बायोमेट्रिक स्कैनिंग, दस्तावेज सत्यापन और फोटो खींचने जैसी सुविधाएं प्रदान करती है। इसके संचालन के बाद से अब तक हर दिन इस वैन से करीब 20 आवेदन मिल रहे हैं, जो लोगों के लिए आसान हुआ है। साथ ही कई बड़े डाकघरों में भी ये सुविधा है। हालांकि जानकार कहते हैं कि यहां से मिलने वाले आवेदन में कई बार त्रुटियां होती हैं, क्योंकि कई स्थानों पर पासपोर्ट के लिए प्रशिक्षित अधिकारी नहीं हैं। ऐसे में आवेदन में हुई एक भी गलती पूरी प्रक्रिया को रोक देती है और आवेदक को फिर से आवेदन करना होता है।

आवेदन के एक माह में बनता है पासपोर्ट
आवेदन करने के एक माह के अंदर पासपोर्ट बन जाता है। इंदौर पासपोर्ट सेवा केंद्र में केंद्र के कर्मचारियों के अलावा आउटसोर्स के कर्मचारी सेवा देते हैं। ऑनलाइन आवेदन के बाद आवेदक को एक तारीख मिलती है और आवेदक को उस दिन तय समय पर दस्तावेज वेरिफिकेशन के लिए कार्यालय में उपस्थित होना होता है। यहां आवेदक की फोटो और अन्य जानकारियां ली जाती हैं। दस्तावेज सत्यापन होने के बाद पासपोर्ट बनता है। कई स्थिति में एक माह से भी कम में बन जाता है।

इंदौर में आवेदक होते हैं परेशान
इंदौर बड़ा शहर है और जिलेभर के आवेदक यहीं आते हैं। बावजूद इसके यहां बाहर आवेदकों के बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। आवेदकों को बाहर सीढिय़ों या रैलिंग का सहारा लेकर इंतजार करना होता है। आवेदक अंदर जाते हैं तो साथ आए परिजन बाहर परेशान होते हैं। यहां तक कि पीने के पानी के लिए यहां तैनात गार्ड को पानी की बोतल देनी होती है, जो अंदर से पानी लाकर देता है। यहां आए आवेदकों का कहना है कि कम से कम बाहर बैठने के लिए कोई व्यवस्था होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि इंदौर में पासपोर्ट सेवा केंद्र की शुरुआत 22 फरवरी 2017 को हुई थी। यह स्कीम नंबर 140 स्थित आनंद वन नामक बिल्डिंग में खोला गया था और अब निपानिया में अपोलो डीबी सिटी के गोल्ड प्लाजा में स्थानांतरित हो गया है।

ये है पासपोर्ट बनवाने का चार्ज
पासपोर्ट के लिए सरकार की ओर से निर्धारित फीस 1500 रुपए और 2 हजार रुपए है। 36 पेज के पासपोर्ट के लिए 1500 और 60 पेज के पासपोर्ट के लिए 2 हजार रुपए जमा कराना होते हैं। शहर के कई एजेंट इस काम को करते हैं। कई आवेदक सीधे ही आवेदन करके प्रक्रिया पूरी करते हैं। तत्काल वाला पासपोर्ट एक सप्ताह में बनता है, जिसके लिए अतिरिक्त फीस चुकानी होती है।

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