
नई दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) वृंदावन में सुदामा कुटी के शताब्दी समारोह (Centenary celebrations of Sudama Kuti in Vrindavan) का कल शुभारंभ करेंगी (Will inaugurate Tomorrow) । वृंदावन में अपने प्रवास के दौरान राष्ट्रपति बांके बिहारी मंदिर, निधि वन के अलावा सुदामा कुटी भी जाएंगी। इसके लिए आश्रम में भव्य स्वागत की तैयारी चल रही है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के वृंदावन आगमन को खास बनाने की तैयारी जोरों पर है। ब्रज में पारंपरिक तरीके से स्वागत की तैयारी चल रही है। इसको भव्य बनाने की पूरी तैयारी है और स्वागत के लिए पूरे वृंदावन को सजाया जा रहा है। सुदामा कुटी के मुख्य महंत सुतीक्ष्ण दास महाराज ने बताया कि राष्ट्रपति मुर्मू भजन कुटी का लोकार्पण करेंगी और सुदामा कुटी में थोड़ा समय संतों के साथ रहेंगी।
महंत सुतीक्ष्ण दास ने यह भी बताया कि आश्रम के संस्थापक गोलोकवासी संत सुदामा दास जी महाराज के वृंदावन आगमन के सौ साल पूरे होने पर आश्रम में शताब्दी वर्ष समारोह का आयोजन किया जा रहा है इसकी शुरुआत राष्ट्रपति मुर्मू के हाथों होगी। अपने प्रवास के दौरान राष्ट्रपति आश्रम में पारिजात का पौधरोपण भी करेंगी और संतों से चर्चा भी करेंगी ।
श्रीधाम के नाम से जाने जाने वाले वृंदावन में वैसे तो हजारों मंदिर और आश्रम है, लेकिन संत सेवा के लिए जाने जाने वाला सुदामा कुटी अपनी अलग जगह रखता है। सुदामा कुटी आश्रम बंसीवट और गोपेश्वर महादेव मंदिर के बीच स्थित है जहां हजारों संतों की सेवा की जाती है। अपनी निशुल्क सेवाओं के लिए जाने जाने वाला सुदामा कुटी आश्रम संतों के बीच अपनी अलग पहचान रखता है।
सुदामा कुटी की स्थापना गोलोकवासी संत सुदामा दास जी महाराज ने की थी। आश्रम के छोटे महाराज श्री अमरदास जी महाराज ने बताया कि अनंत विभूषित संत सुदामा दास जी महाराज जी का जन्म बिहार राज्य के गोपालगंज जिला स्थित छिपाया नाम के गांव में 1899 में हुआ था। बचपन से ही वैराग्य की प्रबल इच्छा तथा साधु संतों से लगाव बहुत ही स्वाभाविक था।
महाराज जी जनकपुर तथा अयोध्या जी में वास करने के बाद 1926 में वृंदावन को प्रस्थान किया और यहीं सुदामा कुटी की स्थापना की। संत सुदामा दास जी का श्री धाम आगमन 1926 में हुआ था और तब से ही वे संत सेवा में लग गए थे। छोटे महाराज श्री अमरदास जी महाराज ने यह भी बताया कि सुदामा कुटी में कई मंदिर हैं जहां सुबह से शाम तक भजन कीर्तन जारी रहता है और संतों की सेवा में लगे संत गौशाला में गाय माता की सेवा करते हैं, तो जरूरतमंदों की सेवा भी उसी भाव से की जाती है।
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