
नई दिल्ली । संसद (Parliament)की विदेश मामलों(Foreign affairs) की स्थायी समिति(standing Committee) ने मंगलवार को भारत विरोधी अमेरिकी(Anti-India Americans) नीतिगत निर्णयों पर भारतीय-अमेरिकी प्रवासी समाज(Indian-American diaspora community) की चुप्पी को लेकर चिंता जताई है। समिति ने यह मुद्दा अमेरिका से आए पांच सदस्यीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के साथ उठाया। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व डेमोक्रेट सांसद आमी बेरा कर रहे थे, जो अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में सैक्रामेंटो का प्रतिनिधित्व करते हैं।
समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने बैठक के बाद कहा, “हमने यह सवाल उठाया कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय इस पूरे मामले पर इतना मौन क्यों है। एक अमेरिकी सांसद ने तो यहां तक कहा कि उनके कार्यालय को किसी भी भारतीय-अमेरिकी मतदाता का फोन तक नहीं आया, जिसमें नीति बदलने का अनुरोध किया गया हो।”
थरूर ने आगे कहा कि कुछ अमेरिकी सांसदों ने भी इस बात से सहमति जताई। उन्होंने कहा, “हमें भारतीय-अमेरिकी समाज से अपील करनी होगी कि अगर वे अपने मातृभूमि के रिश्ते को लेकर चिंतित हैं, तो उन्हें इसके लिए आवाज भी उठानी होगी और संघर्ष भी करना होगा।”
आपको बता दें कि हाल के कुछ वर्षों में भारतीय-अमेरिकी समुदाय अमेरिका में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और आर्थिक ताकत के रूप में उभरा है। टेक उद्योग से लेकर राजनीति तक उनकी भागीदारी तेजी से बढ़ी है। इसके बावजूद हालिया अमेरिकी नीतियों खासकर टैरिफ और वीजा नीति को लेकर उनकी खामोशी भारतीय सांसदों को खटक रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रवासी समाज अगर अपनी संगठित राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल करे तो अमेरिकी नीतियों में नरमी लाने में मदद कर सकता है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved