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संसद की स्थायी समितियों का कार्यकाल बढ़ाने की तैयारी में मोदी सरकार, जानें किन्हें मिलेगा फायदा…

September 27, 2025

नई दिल्ली. संसद (Parliament) की स्थायी समितियों (standing committees) का कार्यकाल बढ़ाने की तैयारी चल रही है. लिहाजा इस कार्यकाल (tenure) को एक साल से बढ़ाकर दो साल किया जा सकता है. सूत्रों के अनुसार, इस कदम का उद्देश्य समितियों को अधिक निरंतरता, गहराई से विधेयकों, रिपोर्टों और नीतिगत मामलों की जांच करने का अवसर देना है. मौजूदा समितियों का कार्यकाल 26 सितंबर को समाप्त हो गया है.


इस प्रस्ताव का राजनीतिक महत्व भी है, दरअसल, कांग्रेस सांसद शशि थरूर इस समय विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं, अगर स्थायी समितियों का कार्यकाल दो साल का कर दिया जाता है तो वे पार्टी से मतभेदों के बावजूद 2 साल और अध्यक्ष पद पर बने रह सकते हैं.

बता दें कि संसदीय स्थायी समितियां संसद की स्थायी इकाइयां होती हैं, जिनमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सांसद शामिल होते हैं. ये समितियां विधेयकों की जांच, सरकारी नीतियों की समीक्षा और बजट आवंटन की पड़ताल करती हैं. साथ ही मंत्रालयों को जवाबदेह भी ठहराती हैं.

‘मिनी संसद’ की तरह काम करती हैं समितियां
संसद के सत्र न होने पर भी ये समितियां ‘मिनी संसद’ की तरह काम करती हैं और सांसदों को विस्तार से नीतिगत और विधायी मामलों की जांच का मौका देती हैं.

हर साल होता है पुनर्गठन
अभी तक इन समितियों का हर साल पुनर्गठन होता है, लेकिन विपक्ष समेत कई सांसदों का मानना है कि एक साल का कार्यकाल पर्याप्त नहीं होता. इसलिए इसे बढ़ाकर कम से कम दो साल किया जाए, ताकि समितियां गहन अध्ययन कर सकें.

सदस्यों का कार्यकाल बढ़कर दो साल हो सकता है
स्थायी समितियों के अध्यक्षों में बड़े बदलाव की संभावना कम है, लेकिन नए नियुक्त सदस्यों का कार्यकाल एक साल से बढ़कर दो साल हो सकता है. इससे समितियां ज्यादा निरंतरता और फोकस के साथ काम कर पाएंगी.

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