
डेस्क: तेलंगाना सरकार (Telangana Goverment) ने राज्य के पिछड़े वर्गों (Backward Classes) के आरक्षण (Reservation) को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है. सरकार ने स्थानीय निकायों (Local Bodies) में पिछड़े वर्गों को 42 प्रतिशत आरक्षण देने का आदेश जारी किया है. यह बिल अभी राष्ट्रपति (President) की मंजूरी का इंतजार कर रहा है. सरकार का मानना है कि इस फैसले से पिछड़े वर्गों को समाज में समान अवसर मिलेगा.
यह सरकारी आदेश (GO) इस साल की शुरुआत में राज्य विधानसभा में पास हुए दो बिलों के बाद आया है. इस बिल में शिक्षा, रोजगार और स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने का प्रावधान है, जबकि यह आरक्षण पहले मात्र 23 प्रतिशत था.
पिछड़े वर्गों के आरक्षण का यह बिल दोनों सदनों में पास कर दिया गया है, जिसके बाद अब ये बिल राज्यपाल को भेज दिए गए हैं और वर्तमान में राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि कोई भी बिल तब तक कानून नहीं बनता जब तक उसे राष्ट्रपति की स्वीकृति नहीं मिल जाती है. इसलिए एक बार राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह बिल पूरे राज्य में लागू हो जाएगा.
तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने 6 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर पिछड़े वर्गों के आरक्षण बिल पर राष्ट्रपति की मंज़ूरी की मांग को लेकर एक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया. उन्होंने बीजेपी पर दबाव बनाते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ‘ओबीसी विरोधी’ होने के कारण इसे रोक रही है और वह नहीं चाहती कि पिछड़े वर्गों के आरक्षण के बिल को मंजूरी न मिले.
दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ कांग्रेस ने 2023 में पिछड़ो वर्गों के आरक्षण को बढ़ाने का वादा किया था. उन्होंने कहा था कि अगर वह इस बार के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर लेते हैं तो वह पिछड़े वर्गों को 23 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर देंगे.
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