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पाकिस्तान से अपना बोरिया-बिस्तर क्यों समेट रही हैं बहुराष्ट्रीय …जानिए वजह ?

October 05, 2025

इस्लामाबाद। एक समय था तब 24 करोड़ की आबादी, युवा जनसांख्यिकी (Demography) और रणनीतिक भौगोलिक स्थिति वाले पाकिस्तान को वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षक कहा जाता था। लेकिन आज, वह सपना चूर-चूर हो चुका है। प्रॉक्टर एंड गैंबल (P&G) जैसी दिग्गज कंपनी ने हाल ही में अपनी मैन्युफैक्चरिंग और कमर्शियल एक्टिविटीज बंद करने की घोषणा कर दी है। इसका मतलब? दाढ़ी बनाने के लिए जिलेट रेजर और बाल धोने के लिए हेड एंड शोल्डर्स शैंपू अब स्थानीय उत्पादन पर निर्भर नहीं रहेंगे। कंपनी अब थर्ड-पार्टी डिस्ट्रीब्यूटर्स के जरिए बाजार में उत्पाद पहुंचाएगी। लेकिन यह सिर्फ पीएंडजी की कहानी नहीं है। पिछले तीन वर्षों में 20 से अधिक बहुराष्ट्रीय कंपनियां (एमएनसी) पाकिस्तान से ‘पलायन’ कर चुकी हैं या अपनी उपस्थिति को काफी हद तक कम कर चुकी हैं। आज हम जानेंगे कि आर्थिक अस्थिरता, राजनीतिक उथल-पुथल और नीतिगत अनिश्चितताओं ने कैसे पाकिस्तान को निवेशकों के लिए ‘रिस्की डेस्टिनेशन’ बना दिया है। ये कंपनियां क्यों जा रही हैं, इसका पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ रहा है, और क्या कोई उम्मीद बाकी है? आइए विस्तार से समझते हैं।



दिग्गजों का एग्जिट: एक लिस्ट जो चिंतित करने वाली है

पाकिस्तान से कंपनियों का पलायन कोई नई बात नहीं, लेकिन 2022 से 2025 के बीच यह रफ्तार तेज हो गई है। पाकिस्तानी अखबार डॉन की 2 अक्टूबर की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएंडजी ने अपनी ग्लोबल रिस्ट्रक्चरिंग का हवाला देते हुए पाकिस्तान में मैन्युफैक्चरिंग बंद करने का फैसला किया। कंपनी के मुताबिक, यह कदम ‘ग्रोथ एंड वैल्यू क्रिएशन’ के लिए है, लेकिन पूर्व जिलेट पाकिस्तान सीईओ साद अमानुल्लाह खान का कहना है कि ‘उच्च बिजली लागत, कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर और रेगुलेटरी दबाव’ असली वजहें हैं। जिलेट पाकिस्तान का रेवेन्यू जून 2025 तक आधा रह गया, जो दो साल पहले 30 अरब पाकिस्तानी रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर था। यह अकेली घटना नहीं।

पिछले तीन वर्षों में पाकिस्तान से कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना कारोबार समेट चुकी हैं। इनमें एली लिली, शेल, माइक्रोसॉफ्ट, उबर और यामाहा जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। इस स्थिति ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पाकिस्तान का आर्थिक माहौल विदेशी निवेश और कंपनियों के लिए असहज और असुरक्षित हो गया है, या फिर इसके पीछे अन्य वजहें हैं।
‘कंपनियों के अपने कारण होते हैं’

डॉन की रिपोर्ट में व्यापार और अर्थव्यवस्था से जुड़े पत्रकार खुर्रम हुसैन के हवाले से लिखा गया है कि कंपनियों के पाकिस्तान से निकलने के अपने-अपने कारण हैं। उन्होंने कहा, “यह हमेशा पाकिस्तान के हालात पर निर्भर नहीं करता, बल्कि कई बार कंपनियां वैश्विक स्तर पर अपने कारोबार के ढांचे में बदलाव करती हैं।” उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “शेल ने पाकिस्तान के अलावा मेक्सिको और इंडोनेशिया में भी अपना रिटेल फ्यूल बिज़नेस बेचा है। कंपनी अब अधिक मुनाफे वाले क्षेत्रों जैसे तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) की तरफ अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। पाकिस्तान से उसका जाना इसी वैश्विक पुनर्गठन का हिस्सा था।”
अब तक कौन-कौन सी बहुराष्ट्रीय कंपनियां पाकिस्तान से अपना कारोबार समेट चुकी हैं?

पाकिस्तान की आर्थिक अस्थिरता, विदेशी मुद्रा प्रतिबंधों, लाभ हस्तांतरण में कठिनाइयों, उच्च करों, राजनीतिक अनिश्चितता और कमजोर उपभोक्ता मांग के कारण हाल के वर्षों में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना कारोबार समेट चुकी हैं। प्रॉक्टर एंड गैंबल (P&G) उपभोक्ता सामान (FMCG) क्षेत्र की अमेरिकी कंपनी है। इसने अक्टूबर 2025 में पाकिस्तान में अपनी विनिर्माण और व्यावसायिक गतिविधियां बंद करने की घोषणा की, जो वैश्विक पुनर्संरचना का हिस्सा है; मुख्य कारणों में लाभ हस्तांतरण पर प्रतिबंध, कमजोर मांग और उच्च परिचालन लागत शामिल हैं, जिससे जिलेट पाकिस्तान की राजस्व में 50% की गिरावट आई।

ऊर्जा क्षेत्र की ब्रिटिश-डच कंपनी शेल पाकिस्तान लिमिटेड ने मध्य 2023 में अपने 77% शेयर बेच दिए और खुदरा ईंधन व्यवसाय से बाहर हो गई, मुख्यतः विदेशी मुद्रा समस्याओं, आपूर्ति श्रृंखला चुनौतियों और वैश्विक स्तर पर तरल प्राकृतिक गैस (LNG) पर फोकस के कारण इसने पाक छोड़ा।

दिग्गज अमेरिकी टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने जुलाई 2025 में पाकिस्तान ऑफिस बंद कर दिया। अमेरिकी राइड-हेलिंग कंपनी उबर 2022 में पाकिस्तान से बाहर निकल गई क्योंकि गरीबी के कारण डिमांड कम थी। इसके अलावा, कम निवेशक विश्वास और आर्थिक मंदी के कारण इसकी सहायक कंपनी कैरम ने भी जुलाई 2025 में सेवाएं निलंबित कर दीं।

ऑटोमोटिव क्षेत्र की जापानी कंपनी यामाहा मोटर पाकिस्तान ने सितंबर 2025 में मोटरसाइकिल उत्पादन बंद कर दिया। इसने आर्थिक संकट, उच्च लागत और घटती बिक्री के कारण ये कदम उठाया।

दूरसंचार क्षेत्र की नॉर्वेजियन कंपनी टेलीनॉर ने दिसंबर 2023 में अपना पूरा पाकिस्तानी व्यवसाय PTCL को बेच दिया। इसने ऊर्जा लागत में वृद्धि, भारी टैक्सेसन और नियामक बाधाओं के कारण ये कदम उठाया। फार्मास्यूटिकल क्षेत्र की अमेरिकी कंपनी फाइजर इंक. ने मई 2024 में कराची प्लांट लकी कोर इंडस्ट्रीज को बेच दिया। ऊर्जा क्षेत्र की फ्रांसीसी कंपनी टोटलएनर्जीज एसई ने 2024 में टोटल पारको में अपनी 50% हिस्सेदारी गुण्वोर ग्रुप को बेच दी क्यों मुनाफा नहीं हो रहा था। फार्मास्यूटिकल क्षेत्र की फ्रांसीसी कंपनी सैनोफी ने हाल के वर्षों में संचालन कम कर दिए या बंद कर दिए। फार्मास्यूटिकल क्षेत्र की जर्मन कंपनी बायर ने भी संचालन में भारी कटौती की। ये आंकड़े द एक्सप्रेस ट्रिब्यून और द फ्राइडे टाइम्स की जुलाई-अक्टूबर 2025 रिपोर्ट्स से लिए गए हैं। ये आंकड़े द एक्सप्रेस ट्रिब्यून और द फ्राइडे टाइम्स की जुलाई-अक्टूबर 2025 रिपोर्ट्स से लिए गए हैं।

एमएनसी के एग्जिट की वजहें सेक्टर-स्पेसिफिक हैं, लेकिन मूल समस्या समान है- पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का ‘क्रॉनिक सिस्टमिक फेलियर’। पूर्व पाकिस्तान बिजनेस काउंसिल (पीबीसी) सीईओ एहसान मलिक के मुताबिक, फार्मा सेक्टर में प्राइस चेंज अप्रूवल में देरी और लोकल कंपनियों की ‘अनएथिकल प्रैक्टिसेज’ बड़ी समस्या हैं।

करेंसी और इंपोर्ट क्राइसिस: पाकिस्तानी रुपये ने 2021 से 50% से ज्यादा वैल्यू खो दी। इंपोर्ट रिस्ट्रिक्शन्स ने रॉ मटेरियल्स की सप्लाई बाधित की। द फ्राइडे टाइम्स की जुलाई 2025 रिपोर्ट कहती है कि ट्रेड डेफिसिट FY2024 में $24.09 बिलियन रहा, लेकिन यह इंपोर्ट कम्प्रेशन से हुआ, न कि एक्सपोर्ट ग्रोथ से।

प्रॉफिट रेपेट्रिएशन और टैक्स चैलेंजेस: कंपनियां प्रॉफिट्स को विदेश भेजने में असमर्थ हैं। टैक्स रिजीम हर बजट में बदल जाता है, जिससे कॉस्ट प्रेडिक्शन मुश्किल। मिली क्रॉनिकल की सितंबर 2025 रिपोर्ट में कहा गया कि ‘ब्यूरोक्रेटिक रेड टेप और ब्राइब डिमांड्स’ आम शिकायत हैं।

ये एग्जिट्स सिर्फ लोगो का जाना नहीं, बल्कि हजारों नौकरियों का अंत हैं। पीएंडजी के एग्जिट से सैकड़ों कर्मचारी प्रभावित होंगे, जिन्हें या तो विदेशी ऑपरेशन्स में शिफ्ट किया जाएगा या सेवरेंस पैकेज मिलेगा। माइक्रोसॉफ्ट के 5 कर्मचारियों का जाना छोटा लगता है, लेकिन यह 25 साल की विरासत का अंत है। टेक्सटाइल सेक्टर में 70 लाख नौकरियां गईं। टेक से 10,000 वर्कर्स 2023-2025 में माइग्रेट हो चुके। यूनिवर्सिटीज में कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट्स की रिटेंशन 73% से गिरकर 41% हो गई। फ्रीलांस रेमिटेंस FY24 में 27.5% घटी। FY24 में $1.9 बिलियन FDI आया, लेकिन ज्यादातर सऊदी अरामको जैसे सिंगल सोर्स से। वहीं दूसरी तरफ इंडिया ने $7.5 बिलियन स्टार्टअप फंडिंग अट्रैक्ट की।

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