
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कमलनाथ सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग (OBC Category) को दिए गए 27% आरक्षण (Reservation) के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई एक बार फिर टल गई. गुरुवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से इस मामले में और समय मांगा. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे में कई तकनीकी पहलू हैं, जिन्हें समझने के लिए अतिरिक्त समय चाहिए. अब इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर के पहले सप्ताह में होगी.
बुधवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को वापस भेजने का संकेत दिया था. कोर्ट ने कहा था कि चूंकि हाईकोर्ट ने इस मामले में कोई अंतिम फैसला नहीं दिया है, इसलिए इसे हाईकोर्ट को भेजना उचित होगा. कोर्ट का मानना था कि अगर हाईकोर्ट का कोई निर्णय होता, तो उसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट को फैसला करने में आसानी होती.
कोर्ट ने यह भी कहा कि वह अंतरिम आदेश को रद्द कर सकता है और मामले को हाईकोर्ट को सौंप सकता है, क्योंकि हाईकोर्ट को राज्य की जनसांख्यिकी, भौगोलिक स्थिति और इस मुद्दे से जुड़े अन्य पहलुओं की बेहतर समझ है. यह मामला मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर चल रही बहस का महत्वपूर्ण हिस्सा है. सुनवाई टलने से इस मुद्दे पर अनिश्चितता बनी हुई है, और अब सभी की निगाहें नवंबर में होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जब इस मामले में अगला कदम स्पष्ट हो सकता है.
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