
देवबंद। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री (Afghanistan’s Foreign Minister) आमिर खान मुत्तकी (Amir Khan Muttaqi) शनिवार को इस्लामिक मदरसा दारुल उलूम, देवबंद (Islamic seminary Darul Uloom, Deoband) पहुंचे। यहां उनका भव्य स्वागत किया गया। मुत्तकी अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ दिल्ली से सड़क मार्ग से देवबंद पहुंचे। दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम (कुलपति) अबुल कासिम नोमानी, जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और दारुल उलूम के पदाधिकारियों ने दारुल उलूम देवबंद में अफगान विदेश मंत्री का स्वागत किया। इस दौरान मुत्तकी ने अपने बयान में कहा कि इस शानदार स्वागत के लिए वह देवबंद के उलेमा और स्थानीय लोगों के शुक्रगुजार हैं। साथ ही उन्होंने भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों के उजले भविष्य की उम्मीद जताई।
क्या है दारुल उलूम देवबंद
दारुल उलूम देवबंद, जो उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद कस्बे में स्थित एक इस्लामी मदरसा है। यहां पर भारत और दुनिया भर से इस्लामी विद्वान तैयार किए गए हैं। जानकारी के मुताबिक इस मदरसे की स्थापना 1800 के दशक के अंत में सय्यद मुहम्मद आबिद, फजलुर रहमान उस्मानी, महताब अली देवबंदी और अन्य ने की थी। वर्तमान परिसर की नींव मुहम्मद कासिम नानौतवी ने रखी थी। यह स्कूल मुख्य रूप से मनक़ूलात, या कुरान और हदीस जैसे स्रोतों से ग्रंथों और परंपराओं के अध्ययन पर आधारित इस्लामी शिक्षा प्रदान करता है।
अफगानिस्तान से क्या कनेक्शन
दारुल उलूम का तालिबान से खास रिश्ता है। तालिबान के कई वरिष्ठ कमांडर और नेता पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित दारुल उलूम हक्कानिया में पढ़े हैं। इसकी स्थापना दारुल उलूम देवबंद की तर्ज पर की गई थी। मौलाना अब्दुल हक, जिन्होंने दारुल उलूम हक्कानिया की स्थापना की थी, ने 1947 में विभाजन से पहले देवबंद के मदरसा में अध्ययन किया और पढ़ाया भी। उनके बेटे, समी-उल-हक को दारुल उलूम हक्कानिया की तालिबान कमांडरों और नेताओं को तैयार करने में भूमिका के कारण ‘तालिबान का जनक’ कहा जाता है।
मुक्तकी ने देवबंद पर क्या कहा
पत्रकारों से बात में मुत्तकी ने देवबंद की अपनी यात्रा का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि देवबंद हमारे लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है। इस जगह और इसके लोगों का अफगानिस्तान के साथ एक लंबा इतिहास है। जिस तरह हमारे छात्र इंजीनियरिंग और विज्ञान पढ़ने के लिए यहां आते हैं, वे धार्मिक अध्ययन के लिए भी यहां आते हैं।
सुरक्षा के रहे कड़े इंतजाम
मुत्तकी के देवबंद पहुंचने पर दारुल उलूम के छात्रों में उत्साह दिखा और उनमें से कुछ ने विदेशी अतिथि से मिलने का भी प्रयास किया। हालांकि सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। दारुल उलूम देवबंद के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी ने कहा कि हमें अपने संस्थान में उनका स्वागत कर खुशी महसूस हो रही है। मुत्तकी के आगमन से पहले, खुफिया एजेंसियों, सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस ने देवबंद में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
दिल्ली स्थित अफगान दूतावास के अधिकारी इस उच्च-स्तरीय यात्रा के लिए शुक्रवार को देवबंद पहुंचे और दारुल उलूम के अधिकारियों से मिलकर सभी तैयारियों की समीक्षा की। मुत्तकी बृहस्पतिवार को छह दिवसीय यात्रा पर नयी दिल्ली पहुंचे थे। अफगानिस्तान में चार साल पहले तालिबान द्वारा सत्ता हथियाने के बाद वह भारत आने वाले पहले वरिष्ठ तालिबान मंत्री हैं। भारत ने अभी तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है।
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