
नई दिल्ली: भेड़िया (Wolf) की प्रजातियों में शामिल ‘कैनिस ल्यूपस पैलिप्स’ (Canis Lupus Pallipes) प्रजाती (Species) अब विलुप्ति (Extinction) के कगार पर पहुंच चुकी है. ये दुनिया की सबसे प्राचीन और दुर्लभ भेड़िये की प्रजातियों में से एक है. इनकी संख्या जंगलों में घटकर कुछ हजार ही रह गई है. इस खतरे को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature) ने 10 अक्टूबर को इस प्रजाति को संकटग्रस्त श्रेणी में रखा है. इसके तहत उन्होंने इस प्रजाति को लाल सूची में शामिल कर लिया है.
यह निर्णय भारतीय शोधकर्ताओं के विस्तृत अध्ययन के आधार पर लिया गया. अध्ययन में भारत और पाकिस्तान के करीब 10 हजार स्थानों पर भेड़ियों की मौजूदगी का सर्वे किया गया, जहां पिछले दो दशकों में इनकी आबादी दर्ज की गई थी. निष्कर्षों के मुताबिक, फिलहाल जंगलों में 2,877 से 3,310 वयस्क भारतीय भेड़िए ही बचे हैं. शोध में महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान को इन भेड़ियों के प्रमुख आवास क्षेत्र (गढ़) के रूप में पहचाना गया है, जहां भारत के लगभग आधे भेड़िए पाए जाते हैं.
हालांकि, महाराष्ट्र के ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अभयारण्य में 2007 से 2023 के बीच इनकी आबादी में 41 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, यानी हर साल करीब 3.1 प्रतिशत की दर से इनकी संख्या कम हो रही है. भारतीय वन्यजीव संस्थान के शोधकर्ता के अनुसार, आवास का नुकसान, इंसानों के साथ संघर्ष, बीमारियां और जंगली कुत्तों के साथ संकरण इस प्रजाति के अस्तित्व के लिए सबसे बड़े खतरे हैं.
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