
डेस्क: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने बुधवार को संकेत दिया कि वह एक्टर अक्षय कुमार (Akshay Kumar) के पक्ष में एक अंतरिम आदेश (Interim Order) जारी करेगा, जिससे उन्हें डीपफेक वीडियो (Deepfake Video) और एआई-जनरेटेड कंटेंट (AI-Generated Content) के ज़रिए उनकी छवि और समानता के अनधिकृत इस्तेमाल से बचाया जा सकेगा. अदालत ने कहा कि इस तरह के दुरुपयोग से “न सिर्फ़ उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है, बल्कि इसके गंभीर परिणाम भी होते हैं.”
इस दौरान मनोरंजन इंडस्ट्री में डिजिटल नकल को लेकर बढ़ती चिंता को उजागर किया. मामले की सुनवाई जज आरिफ डॉक्टर ने की, जो अभिनेता, जिन्हें कानूनी तौर पर अक्षय हरिओम भाटिया के नाम से जाना जाता है, द्वारा दायर सिविल मुकदमे की अध्यक्षता कर रहे थे, जिसमें व्यक्तियों और संस्थाओं को उनकी सहमति के बिना उनके व्यक्तित्व का व्यावसायिक शोषण करने से रोकने की मांग की गई थी.
अक्षय कुमार की ओर से पेश हुए सीनर एडवोकेट बीरेंद्र सराफ ने ज़ोर देकर कहा कि यह मामला अक्षय की व्यक्तिगत शिकायत से कहीं आगे तक फैला हुआ है. याचिका में कहा गया है, “ये कृत्य वादी की साख और प्रतिष्ठा को गंभीर और अपूरणीय क्षति पहुंचाते हैं, उनके व्यक्तित्व और प्रचार के अधिकारों को कमज़ोर करते हैं, जनता को गुमराह करते हैं और दिखावे, अनुचित प्रतिस्पर्धा और अन्यायपूर्ण लाभ के समान हैं.”
अक्षय कुमार की याचिका में उनके नाम, स्क्रीन नाम ‘अक्षय कुमार’, छवि, आवाज़ और हाव-भाव का फ़र्ज़ी वीडियो, भ्रामक विज्ञापनों और नकली उत्पादों के ज़रिए दुरुपयोग करने की कई घटनाओं का ज़िक्र है. ऐसा कंटेंट यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फ़ेसबुक, एक्स (पहले ट्विटर) और कई ई-कॉमर्स वेबसाइटों सहित प्रमुख सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर सामने आया है.
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