
इंदौर। दिवाली के दौरान पटाखों से आंखों में चोट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। शहर के नेत्र विशेषज्ञों के अनुसार हर विशेषज्ञ के पास औसतन 15 लोग आंखों में चोट या जलन की समस्या लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं, जिनमें से कम से कम 1 मरीज की स्थिति गंभीर होती है और आंखों की रोशनी जाने की नौबत बन जाती है। डॉक्टरों के अनुसार जरा सी लापरवाही स्थायी नुकसान का कारण बन सकती है। हर वर्ष दीपावली के दौरान पटाखों से जुड़ी आंखों की चोटों के मामले बढऩे लगे हैं। इनमें जलन, कॉर्निया डैमेज, और गंभीर दृष्टि हानि जैसी समस्याएं शामिल होती हैं।
वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ. ओ. पी. अग्रवाल ने कहा कि दीपावली हमारे जीवन में उजास और उमंग लेकर आती है, लेकिन इस उत्सव के दौरान आंखों की सुरक्षा को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। हर साल पटाखों से जुड़ी आंखों की चोटों में वृद्धि होती है, जिनमें बच्चों, बुजुर्गों और पहले से आंखों की बीमारी से पीडि़त लोगों को सबसे ज़्यादा खतरा होता है। दीपावली को हर्षोल्लास के साथ मनाएं, लेकिन जरा सी सावधानी बरतकर इस पर्व को सुरक्षित भी बनाएं।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. रोहित अग्रवाल ने बताया कि उनके पास चोटिल अवस्था में पहुंचे 1 मरीज को आंखों की रोशनी तक खोनी पडी थी, वहीं 1 दर्जन से ज्यादा मामले इन्फेक्शन के थे। पटाखों से निकलने वाला धुआं आंखों में जलन, खुजली और सूखापन पैदा कर सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से एलर्जी, डायबिटीज या आंखों की सर्जरी से गुजरे हैं। बचाव के लिए आई ड्रॉप्स का नियमित इस्तेमाल करें और जहां तक संभव हो, प्रदूषण के समय घर के अंदर रहें। बच्चों और बुजुर्गों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। डॉ. पलक अग्रवाल ने बताया कि कई बार रेटीना खराब होने जैसे गंभीर मामले सामने आते हैं, जिसे ठीक होना मुमकिन नहीं होता है और पूरी जिंदगी अंधेरे में डूब जाती है।
चोट लगे तो कैसे रखें ख्याल
डॉक्टरो के अनुसार पटाखे जलाते समय कम से कम 2 मीटर की दूरी बनाएं। बच्चों को बड़ों की निगरानी में ही पटाखे चलाने दें। आंखों की सुरक्षा के लिए गॉगल्स या सेफ्टी ग्लास पहनें। जलन या चोट लगने पर आंख न मलें, तुरंत साफ पानी से धोकर साफ कपड़े से आंख को ढंकें। घर पर कोई देसी इलाज न करें, सीधे नेत्र चिकित्सक से जांच कराएं।
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